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पति की लंबी आयु के लिए सुहागिनों ने रखा करवा चौथ का व्रत

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दा एंगल।
मुंबई।
सुहाग और अटूट प्रेम का प्रतीक होता करवा चौथ का हिन्दुओं का एक प्रमुख त्योहार। करवा चौथ आधुनिक हो या ग्रामीण हर स्त्री इस पवित्र त्योहार को मनाती है। सुहागिन स्त्रियों के लिए करवा चौथ का व्रत बहुत मायने रखता है। करवा चौथ का व्रत कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है।

करवा चौथ का व्रत श्रीकृष्ण के कहने पर द्रौपदी ने रखा

प्यार और आस्था के इस पर्व पर सुहागिन स्त्रियां पूरा दिन उपवास रखकर भगवान से अपने पति की लंबी उम्र और गृहस्थ जीवन में सुख की कामना करती हैं। विवाहिता और इस बार बेहद खास संयोग में मनाया जा रहा है। महिलाएं मंगल व रोहिणी नक्षत्र में पति की दीघार्यु की कामना करेंगी। यह संयोग 70 साल बाद आया है। करवा चैथ व्रत का उल्लेख वामन पुराण में है। भगवान श्रीकृष्ण ने भी महाभारत से पहले करवा चौथ व्रत का बखान किया था। मान्यता है उनकी सलाह पर द्रौपदी ने व्रत रखा और पांडवों को विजय मिली।

इस वजह से छलनी से देखा जाता है पति का चेहरा

निर्जला व्रत करके रात को छलनी से चंद्रमा को देखने के बाद पति का चेहरा देखकर उनके हाथों से जल ग्रहण कर अपना व्रत पूरा करती हैं। इस व्रत में चन्द्रमा को छलनी में से देखने का विधान इस बात की ओर इंगित करता है,पति-पत्नी एक दूसरे के दोष को छानकार सिर्फ गुणों को देखें जिससे उनका दाम्पत्य रिश्ता प्यार और विश्वास की मजबूत डोर के साथ हमेशा बंधा रहे।

अपने पति के लिए लंबी उम्र की कामना भी करती हैं

हिंदू मान्यताओं के मुताबिक चंद्रमा को भगवान ब्रह्मा का रूप माना जाता है और चंद्रमा को लंबी उम्र का वरदान प्राप्त है। साथ ही चांद में सुंदरता, प्रसिद्धि, शीतलता, प्रेम और लंबी उम्र जैसे गुण भी हैं। यही वजह है कि शादीशुदा महिलाएं चांद को देखकर उनके इन सब गुणों की कामना अपने पति के लिए भी करती हैं। महिलाएं सोलह शृंगार कर चैथ माता गणेशजी की पूजा कर अखंड सौभाग्यवती होने, परिवार की धन-धान्य से युक्त खुशहाली और स्वास्थ्य की कामना करती है।

वे दिनभर निर्जला व्रत करेंगी। रात को 8 बजकर 28 बजे जब चंद्रोदय के समय चौथ भी होगी तब महिलाएं चंद्रमा को अघ्र्य देंगी। घर की बुजुर्ग महिलाओं के पांव छूकर बायना देंगी और उनसे अखंड सौभाग्यवती होने का आशीर्वाद लेंगी। जीवनसाथी का चेहरा देखकर उनके हाथों जल ग्रहण कर व्रत खोलेंगी। उन्होंने बाजारों में मिट्टी चीनी के करवे, शृंगार सुहाग सामग्री, वस्त्र और आभूषणों की खरीदारी की।

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