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भाजपा पर उपचुनाव में ट्रैक रिकॉर्ड सुधारने का दबाव,गुजरात की जगह उपचुनाव को सौंपा नेताओं को जिम्मा !

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बीजेपी फ्लैग(फाइल फोटो )

सरदारशहर उप चुनाव को लेकर भले ही भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनियां और प्रभारी अरुण सिंह ने इसे प्राथमिकता पर नहीं होने की बात कहकर खुद का सेफ साइड रखा था, लेकिन इस चुनाव की मॉनिटरिंग की कमान दिल्ली से हो रही है। भाजपा इस चुनाव को जीतकर राजस्थान में बीजेपी की मजबूती का बड़ा संदेश देना चाहती है।

भाजपा का ट्रैक रिकॉर्ड है खराब

अब तक हुए आठ उप चुनावों में भाजपा के खाते में सिर्फ एक सीट गई है। ऐसे में भाजपा पर अपना ट्रैक रिकॉर्ड सुधारने का बड़ा दबाव है।कांग्रेस विधायक भंवरलाल शर्मा के निधन के कारण सरदारशहर सीट पर उप चुनाव हाे रहा है। ऐसे में कांग्रेस प्रत्याशी अपने दिवंगत पिता की सहानुभूति की लहर पर हैं तो भाजपा प्रत्याशी भी पिछली हार की सहानुभूति पर सवार है। कांग्रेस इस उप चुनाव से ज्यादा राहुल गांधी की बीजेपी जोड़ो यात्रा की तैयारी पर है। वहीं बीजेपी ने इस चुनाव को जीतने के लिए खास रणनीति तैयार की है।

भाजपा के 40 नेता है प्रचार लिस्ट में

भाजपा ने 40 नेताओं को प्रचार का जिम्मा दिया है। उप चुनाव जीतने के लिए भाजपा ने इन्हें गुजरात से चुनाव प्रचार से भी दूर कर दिया है। केंद्रीय संगठन की और से जारी सूची में सभी बड़े नेताओं को उप चुनाव पर फोकस करने का जिम्मा दिया है। अब ये नेता 20 नवंबर के बाद से उप चुनाव वाली जगह कैंप करते दिखेंगे।

सिम्पैथी फैक्टर उपचुनाव में हावी

अशोक कुमार पींचा पूर्व में विधायक रह चुके हैं और पिछला चुनाव 16 हजार से अधिक वोटों से हारा था। ऐसे में पार्टी के वरिष्ठ नेता और पींचा कमजोर कड़ियों को खोजकर मजबूती देने और चुनावी समीकरण को साधने की दिशा में वर्किंग भी कर रहे हैं ताकि पुराना गैप भरकर चुनाव जीता जा सके। पिछले उपचुनावों की बात करें, तो वल्लभनगर से कांग्रेस के दिवंगत विधायक गजेंद्र सिंह शक्तावत की पत्नी प्रीति शक्तावत, सहाड़ा सीट से कांग्रेस के दिवंगत विधायक कैलाश त्रिवेदी की पत्नी गायत्री देवी, सुजानगढ से कांग्रेस के दिवंगत विधायक मास्टर भंवरलाल मेघवाल के पुत्र मनोज मेघवाल को मतदाताओं ने अपना विधायक चुना।

बीजेपी के लिए उपचुनाव कठिन परीक्षा

जिस तरह से रिकॉर्ड रहे है उसे देखकर यही लगता है बीजेपी को ज्यादा मेहनत करनी होगी.लेकिन वक्त भी बीजेपी के पास बहुत कम है .क्योंकि उपचुनाव में कांग्रेस को विश्वास है कि उसे इस चुनाव में बीजेपी मात नहीं दे सकती है और फिर अब भाजपा के सामने ये चुनौती है कि जो भारतीय जनता पार्टी कांग्रेस मुक्त भारत की बात करती है वो क्या एक सीट भी कांग्रेस से छीन पाएगी.

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