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45 साल पहले आज के ही दिन लिखी गई थी भारतीय लोकतंत्र की काली तारीख

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दा एंगल।
नई दिल्ली।
भारत में आज आपातकाल को 45 साल हो गया है। आज के ही दिन 25 जून 1975 को देश में आपातकाल लगाया गया था। ये तारीख भारत के लोकतंत्र में एक काली तारीख के रूप में याद की जाती है। आज के ही दिन तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के कहने पर तत्कालीन राष्ट्रपति फखरूद्दीन अली अहमद ने देश में आपातकाल की घोषणा की थी। ये आपातकाल 21 महीने तक देशभर में लागू रहा।

भारत के इतिहास में सबसे विवादास्पद

आपातकाल लगाने के पीछे तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने कई दलीलें दी थी। गौरतलब है कि आपातकाल की नींव 12 जून 1975 को हो ही रख दी गई थी। स्वतंत्र भारत के इतिहास में यह सबसे विवादास्पद और अलोकतांत्रिक काल था। आपातकाल में चुनाव स्थगित हो गए तथा नागरिक अधिकारों को समाप्त करके मनमानी की गई। इंदिरा गांधी के राजनीतिक विरोधियों को कैद कर लिया गया और प्रेस पर प्रतिबंधित कर दिया गया। प्रधानमंत्री के बेटे संजय गांधी के नेतृत्व में बड़े पैमाने पर पुरुष नसबंदी अभियान चलाया गया।

जयप्रकाश नारायण ने इसे भारतीय इतिहास की सर्वाधिक काली अवधि कहा था। आपातकाल लगाने के पीछे विपक्ष का इंदिरा गांधी के खिलाफ लगातार आंदोलन रहा। दरअसल, उस समय इंदिरा गांधी पर चुनाव में धांधली करने का आरोप लगाया गया था। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इंदिरा गांधी को चुनावों में धांधली का दोषी पाया था। 12 जून 1975 को सख्त जज माने जाने वाले जस्टिस जगमोहन लाल सिन्हा ने अपने निर्णय में उनके रायबरेली से सांसद के रूप में चुनाव को अवैध करार दे दिया।

अदालत ने दिया निर्णय

अदालत ने साथ ही अगले छह साल तक उनके कोई भी चुनाव लड़ने पर रोक लगा दी। ऐसी स्थिति में इंदिरा गांधी के पास राज्यसभा में जाने का रास्ता भी नहीं बचा। अब उनके पास प्रधानमंत्री पद छोड़ने के सिवा कोई दूसरा रास्ता नहीं था। कई जानकार मानते हैं कि 25 जून, 1975 की आधी रात से आपातकाल लागू होने की जड़ में यही फैसला था। 26 जून 1975 की सुबह राष्ट्र के नाम अपने संदेश में इंदिरा गांधी ने कहा, ‘आपातकाल जरूरी हो गया था। एक ‘जना’ सेना को विद्रोह के लिए भड़का रहा है। इसलिए देश की एकता और अखंडता के लिए यह फैसला जरूरी हो गया था।

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