दा एंगल।
नई दिल्ली।
दिल्ली में एक सड़क दुर्घटना में तीन नाबालिकों की मौत हो गई। तीनों लड़के रात के समय अपनी स्कूटी से जा रहे थे उसी समय एक गाड़ी से टकराने से तीनों रोड पर गिर गए,लेकिन लोगों ने उन्हें अस्पताल में पहुंचाने की जगह उनका मोबाइल चुरा ले गए और एक वाशिंदे ने उन तीनों को एक साइट में कर दिया। इसके बाद एक आदमी ने उनको टैक्सी में डालकर अस्पताल पहुंचाया जहां देरी से आने की वजह से तीनों की मौत हो चुकी थी।
नया मोटर व्हीकल एक्ट
हादसे में तीनों नाबालिगों की मौत हो गई है। नए मोटर व्हीकल एक्ट के तहत अब स्कूटर के असली मालिक के ऊपर भी केस चल सकता है। नए मोटर व्हीकल एक्ट के तहत नाबालिगों के द्वारा गाड़ी चलाने के अपराध में संरक्षक और गाड़ी के मालिक पर भी केस चलाया जा सकता है। दिल्ली गेट के पास हुए हादसे में स्कूटर मृतक तीनों नाबालिग में से एक के चाचा के नाम पर रजिस्टर्ड था।
नाबालिकों के गाड़ी की चलाने के कारण मौत के आंकड़े में वृद्धि
गौरतलब है कि दिल्ली की सड़कों पर नाबालिगों के गाड़ी चलाने के कारण मौत के आंकड़े में काफी वृद्धि हुई है। आंकड़ों के अनुसार, 2018 में नाबालिग चालकों के कारण मौत की संख्या में 2015 की तुलना में 6 गुना तक की वृद्धि दर्ज की गई है। 2015 में नाबालिग चालकों का कुल 225 चालान काटा गया था। पिछले साल दिल्ली ट्रैफिक पुलिस ने एक हजार 228 नाबालिगों के चालान काटे। 2017 में यह आंकड़ा एक हजार 67 था और 2016 में यह आंकड़ा 746 का था।
रोड सेफ्टी के लिए काम करने वाली एनजीओ सेव लाइफ फाउंडेशन के अनुसार नाबालिग चालकों को लेकर एक सर्वे किया गया था। इस सर्वे के अनुसार, पकड़े गए नाबालिग चालकों में से 96.4 प्रतिषत ने बताया कि उनके पैरंट्स को भी उनके वाहन चलाने की जानकारी रहती है। पिछले साल दिल्ली में पकड़े गए नाबालिग चालकों में 33.2 प्रतिषत मोटरसाइकल चालक थे।
ट्रैफिक पुलिस डेटा के अनुसार ऐसे हादसो में पिछले साल 914 केस देर रात हुए थे। लोग हेलमेट को बोझ समझते हैं। इस कारण वो हेलमेट का प्रयोग नहीं के बराबर करते हैं। इस कारण साल अक्टूबर तक में 383 मोटरसाइकल चालकों को अपनी जान गंवानी पड़ी। पिछले साल यह आंकड़ा 464 का था। इस साल दिल्ली पुलिस ने अब तक एक लाख 57 हजार 582 लोगों का ट्रिपल राइडिंग के लिए चालान काटा है।