दा एंगल।
नई दिल्ली।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का लद्दाख दौरा सफल रहा। पीएम मोदी अभी कुछ दिन पहले लद्दाख अचानक पहुंचे और सैनिकों से मुलाकात की और उनका हौसला बढ़ाया। साथ ही सैनिकों को संबोधित करते हुए कहा कि चीन की विस्तारवादी नीति को आगे नहीं बढ़ने देंगे। उनके दौरे का अब असर देखने को मिल रहा है। लद्दाख में भारत की सख्ती और जोरदार जवाब के कारण चीन के आक्रामक रुख में अब नरमी दिखने लगी है।
प्रधानमंत्री की रणनीति आई काम
गलवान घाटी में भारत और चीन के बीच चल रहे तनाव के बीच पेइचिंग ने झुकते हुए गलवान घाटी में संघर्ष वाली जगह से 1.5 किलोमीटर अपने सैनिकों को पीछे हटा लिया है। दोनों देश तनाव को कम करने के लिए कई दौर की कमांडर स्तर की बातचीत कर चुके हैं। राजनीति के जानकार इसे तनाव घटाने की तरफ पहला कदम मान रहे हैं। 15 जून की रात दोनों देशों के जवानों के बीच खूनी संघर्ष में भारत के 20 जवान शहीद हो गए थे जबकि चीन के 40 जवान मारे गए थे।
लद्दाख की गलवान घाटी में चीनी सैनिक डिसइंगेजमेंट प्रक्रिया के तहत करीब 1.5 किमी पीछे हट गए हैं। सेना सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, चीनी सैनिकों ने अपने कैंप भी पीछे हटाए हैं। हालांकि इस पर अभी सेना का कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है।
बफर जोन बना गलवान घाटी
खबरों के मुताबिक वास्तविक नियंत्रण रेखा पर दोनों देशों की सेना ने रिलोकेशन पर सहमति जताई थी। बताया जा रहा है कि गलवान घाटी को अब बफर जोन बना दिया गया है ताकि आगे फिर से कोई हिंसक घटना न हो। सूत्रों के मुताबिक अभी वेरिफिकेशन की प्रकिया पूरी नहीं हुई है। एक सीनियर अधिकारी ने इसकी पुष्टि की कि सैनिक पीछे हटे हैं लेकिन कहा कि कितना पीछे हटे हैं यह वेरिफिकेशन के बाद कंफर्म हो पाएगा।
गलवान एरिया में पट्रोलिंग पॉइंट 14 यानी पीपी-14 के पास से यह मूवमेंट हुई है। यह वही एरिया है जहां पर 15 जून की रात को दोनों देशों के सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हुई थी। यहां पर चीनी सैनिक भारत की परसेप्शन लाइन से आगे आ गए थे। अब चीनी सैनिक करीब 1.5 किलोमीटर पीछे हुए हैं। इसी तरह भारतीय सैनिक भी पीछे हटे हैं।