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लॉकडाउन के चलते बदल सकती है यह 284 साल पुरानी परंपरा !

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द एंगल।

भुवनेश्वर।

कोरोना वायरस के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए देश को लॉकडाउन किया गया है। इस लॉकडाउन के चलते सालों पुरानी कई परंपराएं बदलनी पड़ी हैं। राजस्थान में पिछले दिनों गणगौर की सवारी बिना किसी शाही लवाजमे के चंद लोगों की मौजूदगी में ही निकालनी पड़ी, विभिन्न मंदिर अपने भक्तों को ऑनलाइन दर्शन करवा रहे हैं ताकि वे अपने आराध्य की पूजा करने के लिए मंदिर न आएं, हाल ही में चारधामों में से एक केदारनाथ के कपाट बिना भक्तों की मौजूदगी में खुले और अभी भी वहां भक्तों को दर्शनों की अनुमति नहीं दी गई है। यहां तक कि रमजान के पाक महीने में भी लोगों से घरों में रहकर ही नमाज अदा करने और रोजा इफ्तार करने के निर्देश दिए गए हैं। इन सबके बीच एक और सालों पुरानी परंपरा बदल सकती है।

रथयात्रा पर भी देशव्यापी लॉकडाउन के चलते संशय के बादल

दरअसल अगर देशव्यापी लॉकडाउन की अवधि 3 मई के बाद और आगे बढ़ाई जाती है और हालात ठीक नहीं होते हैं तो ओडिशा के पुरी में भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा पर भी ग्रहण लग सकता है। हालांकि अभी इन विकल्पों पर विचार किया जा रहा है कि बिना परंपराओं को तोड़े कोरोना के खतरे से बचकर किस तरह से रथयात्रा निकाली जाए।

पहले भी महामारी हुई लेकिन रथयात्रा पर रोक नहीं लगी

पुरी के जगन्नाथ मंदिर के सेवायतों के संगठन दइतापति निजोग ने लॉकडाउन के बीच रथयात्रा कराने का निवेदन किया है। पत्र ने जरिए दइतापति निजोग ने कहा है कि देश में अनेकों बार महामारी हुई है, लेकिन कभी भी भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा बंद नहीं हुई। ऐसे में पुराने इतिहास को ध्यान में रखकर इस साल भी कोरोना वायरस के चलते जारी प्रतिबंध के बीच रथयात्रा की इजाज़त मिलनी चाहिए। उन्होंने यह भी प्रस्ताव दिया है कि पुरी की सभी सीमाओं को सील करके भी रथयात्रा कराई जा सकती है।

मंदिर में चल रही रथ निर्माण की तैयारियां

पत्र में कहा गया है कि रथयात्रा में बाहरी लोगों को प्रवेश नहीं दिया जाएगा और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन भी किया जाएगा। दइतापति निजोग ने सचिव दुर्गादास महापात्र ने बताया कि पत्र में यह भी कहा गया है कि रथयात्रा में शामिल होने वाले लोगों का पहले मेडिकल चेकअप कराया जाएगा। बता दें पुरी में इस बार 23 जून को रथ यात्रा निकलनी है। 26 अप्रैल यानी अक्षय तृतीया से इसे लेकर मंदिर प्रशासन ने तैयारियां भी शुरू कर दी हैं। मंदिर में रथ निर्माण की तैयारी भी होने लगी है।

… तो टूटेगी 284 सालों की परंपरा

संभावना इस बात की भी है कि मंदिर के पुरोहितों और सरकार में मंदिर में ही रथयात्रा कराने की सहमति बने। 12वीं सदी में पुनर्निर्मित हुए भगवान जगन्नाथ के इस मंदिर में 1736 से लगातार रथयात्रा का आयोजन हो रहा है। ऐसे में अगर कोविड-19 के खतरे के चलते इसे निरस्त किया जाता है तो यह 284 सालों में पहली बार होगा।

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