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महाराष्ट्र की राजनीति में आज की सुबह लेकर आई कुछ नया

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दा एंगल।
मुंबई।
महाराष्ट्र की राजनीति इन दिनों बड़े ही उतार-चढ़ाव पर चल रही है। विधानसभा में शिवसेना ने भाजपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था। परिणाम आने के बाद से दोनों में मुख्यमंत्री पद को लेकर खटास आ गई। इसके बाद षिवसेना ने एनसीपी और कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार बनाने की सोची, लेकिन बहुत दिनों तक बात नहीं बनी। इसी बीच एनसीपी के नेता अजित पवार ने भाजपा को समर्थन दें सरकार बना ली। लेकिन एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार ने राजनीतिक चतुरता दिखाते हुए 80 घंटे में ही सरकार को गिरा दिया। अब षिवसेना-एनसीपी और कांग्रेस मिलकर महाराष्ट्र की राजनीति को नया रंग देने में जुट गए हैं।

शिवसेना के लिए नई सुबह

वहीं महाराष्ट्र में गुरुवार का दिन शिवसेना के लिए नई सुबह लेकर आया है। पहली बार ठाकरे परिवार का कोई सदस्य मुख्यमंत्री की कुर्सी संभालने जा रहा है। उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में महाविकास आघाडी की सरकार बनने जा रही है। शिवसैनिकों में इसको लेकर काफी जोश और उत्साह है।

बालासाहेब ठाकरे और इंदिरा गांधी के लगे पोस्टर

इस बीच मुंबई में शिवसेना भवन के पास शिवसेना के संस्थापक बालासाहेब ठाकरे और पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की तस्वीर वाले पोस्टर देखे जा रहे हैं। इसके साथ ही पोस्टर में बाल ठाकरे, शरद पवार और जॉर्ज फर्नांडिस की एक पुरानी तस्वीर भी है। पोस्टर में लिखा है- बालासाहेब का सपना साकार, शिवसेना का मुख्यमंत्री। इस पोस्टर में बाल ठाकरे इंदिरा गांधी का अभिवादन करते नजर आ रहे हैं। शिवसेना संस्थापक ठाकरे ने कई बार इंदिरा की नीतियों का समर्थन किया था।

ठाकरे ने 1975 में इमरर्जेेंसी का किया था समर्थन

बालासाहेब ने 1975 में इंदिरा द्वारा लगाई गई इमर्जेंसी का भी समर्थन किया था, जब ज्यादातर विपक्षी पार्टियां इसके खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रही थीं। यही नहीं जनता पार्टी की सरकार आने के बाद जब 1978 में इंदिरा को गिरफ्तार किया गया तो उन्होंने इसके खिलाफ बंद आयोजित किया।
इमर्जेंसी के समय महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री शंकर राव चव्हाण थे। बाल ठाकरे की जीवनी लिखने वाली सुजाता आनंदन ने बताया था कि चव्हाण ने बालासाहेब के पास अपने दो संदेशवाहक भेजे। बाल ठाकरे से कहा गया कि उनके पास दो ही विकल्प हैं या तो मुंबई दूरदर्शन के स्टूडियो पहुंचकर इमर्जेंसी के समर्थन का ऐलान कर दें या फिर गिरफ्तारी के लिए तैयार रहें। फैसला लेने के लिए उन्हें आधे घंटे का समय दिया गया। थोड़ी देर विचार-विमर्श के बाद बालासाहेब ने इमर्जेंसी के समर्थन की घोषणा की थी।

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