द एंगल
नई दिल्ली।
भारत की संसद पर हमले की आज 19वीं बरसी है। 2001 में हुए इस हमले में कई जवानों ने अपनी जान गंवाई थी। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित कई नेताओं ने शहीदों को याद कर नमन किया है। देश के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने आज के दिन को याद करते हुए कहा की देश उन बहादुर शहीदों को कृतज्ञतापूर्वक याद करता है जिन्होंने 2001 में इस दिन संसद का बचाव करते हुए अपनी जान की बाजी लगा दी थी। हमारे लोकतंत्र के मंदिर के उन रक्षकों के महान बलिदान की सराहना करते हुए, हम आतंक की ताकतों को हराने के अपने संकल्प को मजबूत करते हैं।
हमले में जान गंवाने वाले शहीदों का भारत शुक्रगुजार रहेगा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शहीदों को याद करते हुए कहा की हम 2001 में इस दिन अपनी संसद पर कायरतापूर्ण हमले को कभी नहीं भूलेंगे। हम उन लोगों की वीरता और बलिदान को याद करते हैं जिन्होंने अपनी संसद की रक्षा करते हुए अपनी जान गंवाई। भारत हमेशा उनका शुक्रगुजार रहेगा।
इस हमले में 14 लोगों की जान गई थी
आपको बता दे 2001 में संसद भवन पर हमला एक आतंकवादी हमला था जो भारत के दिल्ली में संसद भवन पर 13 दिसंबर 2001 को हुआ था। संसद भवन पर हमला करने वाला लश्कर-ए-तायबा और जैश-ए-मोहम्मद नामक आतंकवादी संगठन थे। इस हमले में कुल 14 लोगों की जानें गई थी
13 दिसंबर 2001 को, पांच आतंकवादियों ने गृह मंत्रालय और संसद लेबल के साथ संसद भवन में घुसपैठ की। जबकि राज्यसभा और लोकसभा दोनों को घटना से 40 मिनट पहले स्थगित कर दिया गया था।हमले के समय संसद भवन के अंदर प्रमुख राजनेताओं सहित 100 से अधिक लोग थे। बंदूकधारियों ने अपने द्वारा चलाई गई कार पर एक नकली पहचान पत्र का उपयोग किया और इस तरह संसदीय परिसर के आसपास तैनात सुरक्षा को आसानी से भंग कर दिया।
आतंकवादियों के पास AK47 राइफल, ग्रेनेड लांचर, पिस्तौल और ग्रेनेड थी। बंदूकधारियों ने अपने वाहन को भारतीय उपराष्ट्रपति कृष्णकांत (जो उस समय इमारत में थे) की कार में डाल दिया, बाहर निकल गए और शूटिंग शुरू कर दी। उपराष्ट्रपति के गार्ड और सुरक्षाकर्मियों ने आतंकवादियों को वापस गोली मार दी और फिर परिसर के द्वार बंद करना शुरू कर दिया।