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वैपिंग पर जारी टॉप रिसर्च, ग्लोबल अनुभव की जांच कर रहे भारतीय स्वास्थ्य अधिकारी

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प्रतीकात्मक तस्वीर

The Angle

नई दिल्ली।

भारत में स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारी लगभग 3 साल पहले वैपिंग पर प्रतिबंध लगाने के अपने फैसले पर फिर से विचार करने के लिए दबाव में बने हुए हैं। भारतीय राजधानी नई दिल्ली में में ऊंचे पदों पर काबिज़ कुछ सूत्रों का कहना है कि मंत्रालय के अधिकारियों को वैश्विक अध्ययन प्राप्त हो रहे हैं, जो सुझाव देते हैं कि स्मोकिंग छोड़ने के लिए सिगरेट की तुलना में वैपिंग एक बेहतर विकल्प है और यूनाइटेड किंगडम सहित दुनियाभर के कई देशों में डॉक्टर्स एक विकल्प के रूप में वैपिंग की सिफारिश कर रहे हैं।

स्मोकिंग की आदत छोड़ने के लिए ई-सिगरेट को मानते हैं संभावित उपाय

स्मोकिंग की स्वास्थ्य खराब करने वाली आदत को छोड़ना शायद सबसे अच्छे निर्णयों में से एक है, जो आप ले सकते हैं। हालांकि इस जानवर की प्रकृति ऐसी है कि यह केवल वापस आने के लिए बाहर जाता है। सदियों से मानव जाति ने रामबाण खोजने के लिए स्थानांतरण का एक उपयुक्त रास्ता निकालने का प्रयास किया है। बहुत से लोग ई-सिगरेट के उपयोग को एक संभावित उपाय मानते हैं, जो कई लोगों को स्मोकिंग की आदत से पीछा छुड़ाने में मदद कर सकता है।

आंकड़े और यहां तक कि अध्ययन भी इस बात का सुझाव देते हैं कि स्मोकिंग के खिलाफ वैश्विक लड़ाई को आगे बढ़ाने का सबसे अच्छा तरीका वैपिंग ही है। हालांकि कुछ मजबूत तर्क भी हैं जो सुझाव देते हैं कि वैपिंग अपनी समस्याओं से भरा एक सेट ला सकता है। नतीजतन कई अन्य देशों की तरह वैपिंग को पूरे भारत में भी बैन कर दिया गया था।

क्या बैन वाकई कोई समाधान है ?

सत्ताधारी व्यवस्था के लिए अक्सर किसी नई इकाई पर बैन लगाना सबसे आसान उपाय होता है। लेकिन कौनसा दिन बैन लगाने के लिए बेहतर है, यह भी बहस का विषय है। दूसरी तरफ केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने ई-सिगरेट आदि के उपयोग पर गंभीर विचार किया है। हालांकि इस पर विचार करने की आवश्यकता है कि क्या नियम कायदे बेहतर अवसर प्रदान कर सकते हैं ? यदि एक अध्ययन में पाया गया है कि निकोटिन जैसे कैमिकल की एक निश्चित मात्रा सूंघने से नुक्सान हो सकता है, तो ऐसे में क्या यह संभव है कि इसके उपयोग की अनुमति केवल एक निश्चित मात्रा तक ही दी जाए ? क्या कम या कोई हानिकारक प्रभाव वाले वैकल्पिक पदार्थ हो सकते हैं ? क्योंकि कुल मिलाकर, सिगरेट पीने से ही कई स्वास्थ्य समस्याएं होती हैं।

वैपिंग पर ग्रेटर साइंटिफिक डिबेट की जरूरत

पॉलिसी बनाते समय सिर्फ तार्किक डिबेट ही महत्वपूर्ण नहीं है, स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारियों को विभिन्न विभागों द्वारा बताया जा रहा है कि इन सबमें यह भी महत्वपूर्ण है कि अधिक से अधिक जानकारी का अध्यन किया जाए और उसे खुद में समाहित किया जाए। किसी भी अध्ययन के गुण और दोष, जो वैपिंग का सुझाव देते हैं या इसे अस्वीकार करने की मांग करते हैं, उसे अच्छी तरह से सुनने की आवश्यकता है। क्या ई-सिगरेट से पैदा होने वाली समस्याओं का समाधान हो सकता है ? क्या वैपिंग किसी तरह से तंबाकू छुड़ाने के प्रयासों का हिस्सा बन सकता है ? इस तरह की डिबेट्स को समझ और खुलेपन के माहौल में होना चाहिए, जहां सभी पक्ष अपने जायज दावों को सामने रख सकें।

अक्सर अन्य देशों में उठाए जा रहे कदमों के आधार पर लिए जाते हैं फैसले

ऐसे मामलों में निर्णय अक्सर इस आधार पर लिए जाते हैं कि अन्य देशों में क्या किया जा रहा है। हालांकि भारत अब एक ऐसे चरण में चला गया है, जहां वह अपने व्यापक रिसर्च के साथ आ सकता है और दुनिया को नेतृत्व प्रदान कर सकता है। इसे ऐसे देखें कि आखिर दुनिया के कितने देश एक नहीं 2-2 वैक्सीन बनाने में सफल हुए हैं ?

वैपिंग की मदद से स्मोकिंग छोड़ने के लिए न्यूजीलैंड में अनुमति

न्यूज़ीलैंड उन देशों में से एक है जो लोगों को स्मोकिंग छोड़ने में मदद करने के लिए वैपिंग की संभावनाओं के प्रति अधिक खुला हुआ था। जबकि देश के पॉलिसी मेकर्स, वैपिंग की अनुमति देने के लिए अधिक स्वतंत्र हैं, हालांकि इस शर्त पर कि सांस द्वारा ली जाने वाली मात्रा कम हो। यह तम्बाकू सेवन का संभावित रूप से कम हानिकारक तरीका हो सकता है। हालांकि न्यूजीलैंडवासियों की एक बड़ी चिंता यह रही है कि इसे बच्चों के लिए लागू नहीं किया जाना चाहिए। बहुत से द्वीप देशों में तमाम लोगों का मानना है कि वैपिंग लंबे समय से मौजूद नहीं है, जिस कारण इसके लम्बे समय के प्रभावों के बारे में पर्याप्त डाटा भी मौजूद नहीं हैं। न्यूज़ीलैंड के अलावा, कुछ अन्य देशों जैसे मॉरीशस, सेशेल्स और इथियोपिया आदि में कथित तौर पर वैपिंग से संबंधित कानून कम सख्त हैं।

भारत में 2018 से ई-सिगरेट का उपयोग प्रतिबंधित

भारत सरकार ने ई-सिगरेट पर बैन लगाने का निर्णय मुख्य रूप से अपने लोगों, खासकर युवाओं और बच्चों को एडिक्शन के जोखिम से बचाने के लिए लिया था। ई-सिगरेट पर बैन लगाने पर विचार करने के लिए सभी राज्यों को 2018 में सरकार द्वारा जारी एक सलाह के बाद यह निर्णय आया था। 16 राज्यों और 1 केंद्र शासित प्रदेश ने पहले ही अपने अधिकार क्षेत्र में ई-सिगरेट पर बैन लगा दिया था। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) ने हाल ही में इस विषय पर एक श्वेत पत्र में, मौजूदा वैज्ञानिक प्रमाणों के आधार पर ई-सिगरेट पर पूरी तरह बैन लगाने की सिफारिश की है। डब्ल्यूएचओ ने सदस्य देशों से इन प्रोडक्ट्स को बैन करने के साथ-साथ उचित कदम उठाने का भी आग्रह किया है।

वैपिंग के संभावित अच्छे-बुरे परिणामों को समझने के लिए जारी रहनी चाहिए डिबेट

यहां जबकि बैन मौजूद है और कानून का सम्मान किया जाना जरूरी है, इसके बीच वैपिंग के संभावित अच्छे-बुरे परिणामों पर डिबेट जारी रहनी चाहिए। वैपिंग के खिलाफ एक तर्क यह भी है कि यह अन्य तम्बाकू प्रोडक्ट्स के लिए प्रवेश द्वार साबित हो सकता है। यह प्रवेश द्वार इसके उपयोग के लिए भी किया जा सकता है और इसके निकासी के लिए भी किया जा सकता है। वैपिंग अगर सही तरीके से उपयोग किया जाता है, तो बेशक लाभ मिल सकता है।

प्रत्येक बीतते दिन के साथ अधिक से अधिक रिसर्च सामने आ रही हैं और ऐसे में एक गुमनाम बीस्ट, सबसे परिचित इकाई के रूप में सामने आ रहा है। सामने आने वाले सभी डेटा और रिसर्च की जांच की जानी चाहिए, जिसे पॉलिसी मेकर्स द्वारा नहीं किया जाना चाहिए। आखिरकार नीतियों और कानूनों को लगातार विकसित होने की जरूरत है और ऐसे ही यह डिबेट तेज हो जाएगी।
(मूल लेख अंग्रेजी में वरिष्ठ पत्रकार अशोक प्रधान द्वारा लिखा गया है)

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