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इस बार ऐसा क्या हुआ रेलवे के अंदर…

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दा एंगल।
मुंबई।
गाड़ी चले और एक्सीडेंट ना हो ऐसा तो हो नहीं सकता। रेलवे में हर साल दुर्घटना में जनहानि होती रही है। रेलवे इन जनहानि को रोकने के लिए भरपूर प्रयास कर रहा है और इस प्रयास में वे एक हद तक सफल भी रहा है। रेलवे ने अपनी तकनीक और मैन पावर में भी वृद्धि की है जिससे दुर्घटनाओं पर लगाम भी लगी है।

रेलवे के 166 साल में ऐसा पहली बार हुआ

भारतीय रेलवे के 166 साल के लंबे इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है कि इस साल किसी भी यात्री की जान नहीं गई है। इंडियन रेलवे ने दावा किया है कि इस वित्तीय वर्ष में एक भी यात्री की मौत नहीं हुई है। यानी भारतीय रेलवे के 166 साल के इतिहास में 2019-20 जीरो पैसेंजर डेथ का गवाह बना है।
भारतीय रेलवे के डेटा के अनुसार, रेलगाड़ियों की टक्कर, ट्रेनों में आग, रेवले क्रॉसिंग और पटरी से उतरने के हादसों में पिछले 38 साल की तुलना में 95 फीसदी से ज्यादा की कमी आई है। सुरक्षा की दिशा में यह रेलवे की बहुत बड़ी उपलब्धि है।

पिछली बार कुल 59 हादसे

रेलवे की एक रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले 38 सालों में ट्रेनों के बीच टक्कर, आग लग जाना, लेवल क्रॉसिंग जैसे हादसों में करीब 95 फीसदी की गिरावट आई है। 2017-18 में 73 रेल हादसे हुए थे। वित्त वर्ष 2018-19 में इसमें कमी आई और कुल 59 हादसे हुए। उस वित्त वर्ष में हर 10 लाख किलोमीटर पर होने वाले ट्रेन हादसे घटकर अब तक के न्यूनतम शून्य दशमलव 6 पर पहुंच गया।
रेलवे की रिपोर्ट के मुताबिक, 1960-61 में कुल 2 हजार 131 ट्रेन हादसे हुए थे। 1970-71 में यह घटकर 840 पर आ गया। 1980-81 में यह आंकड़ा बढ़कर एक हजार 13 पर पहुंच गया और 1990-91 में यह करीब आधा 532 पर पहुंच गया। 2010-11 में 141 रेल हादसे हुए थे।

भारतीय रेलवे बोर्ड के पुनर्गठन को मंजूरी

2014 के बाद रेलवे में काफी काम हुआ है। कई सुदूर इलाकों को ट्रेन से जोड़ा गया है। तेजस चलाकर इसका निजीकरण भी हुआ है। केंद्रीय कैबिनेट ने रेलवे बोर्ड के पुनर्गठन को मंजूरी दी है। अब रेलवे में दो विभाग- रेलवे सुरक्षा बल और चिकित्सा सेवा विभाग होंगे। रेलवे बोर्ड का नेतृत्व रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष करेंगे जो मुख्य कार्यकारी अधिकारी होंगे। इसके चार सदस्य एवं कुछ स्वतंत्र सदस्य होंगे।

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