दा एंगल।
जयपुर।
मानव जीवन बड़ी मुश्किल से मिलता है। यह भगवान दी गई सबसे बड़ी निमत है। लेकिन आज के इंसान में धैर्य नाम की वस्तु का बड़ा अभाव हो गया है। हर कोई आजकल डिप्रेशन में जीवन जीने लगा है। आजकल हर मां-बाप अपने बच्चों को आईएएस, डाॅक्टर या बड़ा आदमी बनाना चाहता है। इसी अंधी दौड़ में वह भूले जाते हैं कि इस आगे बढ़ने की होड़ में बच्चे कितने डिप्रेशन में चले जाते हैं।
कम अंक लाने पर मायूस हुई बच्ची
हाल ही के वर्षों में देखा गया है कि बच्चे पढ़ाई का बोझ झेल नहीं पा रहे हैं और वो अपनी जीवन लीला को समाप्त करने में लगे हैं। अभी हाल ही में राजधानी जयपुर के मालवीय नगर थाना इलाके में स्थित एक स्कूल की कक्षा 6 की एक छात्रा स्कूल की तीसरी मंजिल से कूद गई। उसका निजी अस्पताल में इलाज चल रहा है। कारण बस इतना सा था कि उसके परीक्षा में कम अंक आए थे और कम अंक आने की वजह से वो बहुत मायूस थी। ऐसे ही ना जाने कितने मामले हैं जो केवल कम अंक आने की वजह से इतने डिप्रेशन में चले जाते हैं कि जान देने जैसे कृत्य से भी पीछे नहीं हटते हैं। अभिभावकों की इच्छा बच्चों के जीवन पर भारी पड़ती जा रही है।
अभिभावक बच्चों पर न डाले पढ़ाई का बोझ
बच्चे अपने अभिभावकों के सपने पूरे नहीं करने की वजह से आत्महत्या जैसे कदम उठा रहे हैं। मनोवैज्ञानिक भी कहते हैं कि बच्चों को इतना अधिक पढ़ाई का बोझ देना सही नहीं है। इससे बच्चों की मानसिक स्थिति बिगड़ जाती है। उनमें सोचने-समझने की शक्ति समाप्त हो जाती है और वो इस तरह के कदम उठाने में पीछे नहीं हटते हैं। डाॅक्टर्स कहते हैं कि अभिभावकों को अपने बच्चों को समझाने का चाहिए कि वो पढ़ाई का इतना भार नहीं डाले जिससे कि वो किसी भी प्रकार के डिप्रेशन में चले जाए। पढ़ाई अपनी जगह और जिंदगी अपनी जगह है। आपको अपना चित शांत रखते हुए अपना काम करना चाहिए।