दा एंगल।
अहमनगर।
सेना के जवान अपने वतन के लिए जान दे भी सकते है और जान ले भी सकते है। लेकिन अगर इन्ही जवानो को देश द्रोही करार कर दिया जाए तो, ऐसा ही कुछ हुआ हैं हमारे ही देश भारत के एक जवान के साथ। जिसने सेना में आकर अपनी जिंदगी के सबसे ख़राब दिन जिए है। शुरुवाती दिन काफी अच्छे थे। लेकिन फिर वे बॉर्डर के एरिया में पाकिस्तान के हिस्से में गलती से चले गए। जिसके बाद उनके साथ गलत ही गलत हुआ। वे पाकिस्तान रेंजर्स के कब्जे में पुरे चार महीने रहे। जहां उन्हें खूब मारा गया और टॉर्चर किया गया। और फिर जवान को अधमरे हालात में भारत की सीमा में फेक दिया।
साल 2016 में गलती से पाकिस्तान की सीमा में जाने वाले जवान चंदू चव्हाण ने सेना पर लगातार उसका उत्पीड़न करने का आरोप लगाते हुए कहा कि वह इस्तीफा देने जा रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘जब से मैं पाकिस्तान से लौटा हूं लगातार सेना की ओर से उत्पीड़न किया जा रहा है और मुझे संदिग्ध दृष्टि से देखा जाता है, इसलिए मैंने सेना छोड़ने का फैसला किया है।’
4 महीने तक रहे पाक की कब्जे में-
उनके नजदीकी सूत्रों ने बताया कि चव्हाण ने अपना त्याग पत्र अहमनगर स्थित सैन्य टुकड़ी के कमांडर को भेज दिया है। चव्हाण को पाकिस्तानी रेंजर्स ने करीब चार महीने तक अपने कब्जे में रखा और बेरहमी से पीटा एवं यातना दी और मरणासन्न हालत में भारत को सौंपा था। पिछले महीने चव्हाण सड़क हादसे में घायल हो गए थे। उनके चेहरे और खोपड़ी में गंभीर चोटें आई हैं। चार दांत भी टूट गए हैं। भौंह, ओंठ पर भी चोटें आई है और अभी भी वह अस्पताल में भर्ती है। यह हादसा सड़क पर गड्ढे की वजह से तब हुआ जब वह मोटरसाइकिल से अपने गृहनगर बोहरीवीर जा रहे थे। हेलमेट नहीं पहने होने की वजह से अधिक चोटें आईं।