दा एंगल।
मुंबई।
सीधा साधा चेहरा, गोल आंखें, सांवला रंग ऐसी थीं स्मिता पाटील। अपनी एक्टिंग से लाखों के दिलों में राज करने वाली स्मिता पाटील आज के ही दिन दुनिया से अलविदा कह गई थीं। स्मिता पाटिल का जन्म 17 अक्टूबर, 1955 में महाराष्ट्र के पुणे में हुआ और 13 दिसम्बर, 1986 को हिंदी सिनेमा जगत ने एक बेहद कीमती कलाकार को खो दिया। स्मिता पाटिल एक सक्रिय नारीवादी महिला थीं।
स्मिता पाटील की फिल्मों में ग्लैमर से ज्यादा नारी विषय पर आधारित होती थी। वे महाराष्ट्र सरकार में मंत्री शिवाजीराव पाटील के घर हुआ था। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा मराठी माध्यम के स्कूल में हुई थी। स्मिता का अफेयर शादीशुदा राजबब्बर के साथ हो गया था। कुछ समय बाद दोनों विवाह कर लिया था।
स्मिता पाटील का सफर रहा केवल 10 साल
बॉलीवुड की मरहूम एक्ट्रेस स्मिता पाटिल का फिल्मी सफर सिर्फ 10 साल का रहा। वो ना सिर्फ फिल्मों, बल्कि राज बब्बर से अपने सम्बन्धों की वजह से भी चर्चा में रहीं। सिर्फ 31 साल की उम्र में उनकी अचानक मौत हो गई जो आज भी रहस्यमयी है। स्मिता पाटील अपने गंभीर अभिनय के लिए जानी जाती है। उन्होंने अपने फिल्म करियर की शुरुआत श्याम बेनेगल की फिल्म 1975 में चरणदास चोर से की थी।
दो बार जीते राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार
वह उस समय के लीडिंग एक्टेट्रस में थीं। उन्होंने भारतीय सिनेमा को एक नई दिशा प्रदान की। अपने फिल्म करियर में उन्होंने दो बार राष्ट्रीय पुरस्कार और एक बार फिल्म फेयर आवर्ड जीते थे। उन्हें फिल्म फिल्म भूमिका में उनके अभिनय के लिए बेस्ट एक्ट्रेटस का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार दिया गया था। 1985 में उनको फिल्मों में दिए गए उनके योगदान के लिए पद्मश्री से नवाजा गया था।
उनकी कुछ ऐसी उल्लेखनीय फिल्मे हैं जिनमें उनके रोल के लिए उन्हें हमेशा याद किया जाएग। उनमें है 1977 में आई मंथन, भूमिका, आक्रोश, चक्र, चिदंबरम और मिर्च मसाला शामिल हैं। स्मिता को वायरल इन्फेक्शन की वजह से ब्रेन इन्फेक्शन हुआ था। प्रतीक के पैदा होने के बाद वो घर आ गई थीं। वो बहुत जल्द हॉस्पिटल जाने के लिए तैयार नहीं होती थीं, कहती थीं कि मैं अपने बेटे को छोड़कर हॉस्पिटल नही जाऊंगी। जब ये इन्फेक्शन बहुत बढ़ गया तो उन्हें जसलोक हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया। उनके अंग एक के बाद एक फेल होते चले गए और उनकी मृत्यु हो गई।
दुल्हन की तरह हुई विदा
स्मिता पाटिल के मेकअप आर्टिस्ट दीपक सांवत ने बताया कि स्मिता हमेशा कहती थी कि दीपक जब मैं मर जाउंगी तो मुझे बिलकुल सुहागन की तरह तैयार करना। इसी कारण उनके निधन के होते ही उन्होंने एक दुल्हन की तरह तैयार किया गया था।