The Angle
भोपाल।
डॉ. मोहन यादव अब मध्यप्रदेश के नए मुख्यमंत्री बन गए हैं। एमपी के राज्यपाल मंगूभाई छगनभाई पटेल ने उज्जैन दक्षिण से विधायक मोहन यादव को मुख्यमंत्री पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई। इसके साथ ही जगदीश देवड़ा और राजेंद्र शुक्ला को डिप्टी सीएम पद की शपथ दिलाई गई। इस खास मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, बीजेपी अध्यक्ष जेपी नेड्डा मौजूद रहे। इसके अलावा यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ, महाराष्ट्र सीएम एकनाथ शिंदे, डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस, अजित पवार, उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी, केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी, ज्योतिरादित्य सिंधिया समेत तमाम बीजेपी नेता मौजूद रहे।
विधायक दल की बैठक में शिवराज सिंह चौहान से करवाया नाम का प्रस्ताव
डॉ. मोहन यादव ने मध्यप्रदेश के 19वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। मोहन यादव को संघ का करीबी बताया जाता है। जानकारी के अनुसार शिवराज सिंह चौहान ने ही मोहन यादव के नाम का प्रस्ताव विधायक दल की बैठक में किया था। मोहन यादव उज्जैन दक्षिण से विधायक हैं और वे शिवराज सरकार में उच्च शिक्षा मंत्री थे। वहीं मोहन यादव के शपथ लेते ही शिवराज सिंह चौहान ने अपने सोशल मीडिया बायो को अपडेट करते हुए वहां पूर्व मुख्यमंत्री लिख दिया।
मध्यप्रदेश में ओबीसी ज्यादा, इसलिए ओबीसी चेहरे को दी कमान
मोहन यादव आरएसएस खेमे से हैं। विद्यार्थी परिषद से राजनीति में आए। सीएम के नाम में संघ का समर्थन मिला। आदिवासी बाहुल्य छत्तीसगढ़ की तर्ज पर मध्य प्रदेश में ओबीसी चेहरे को ही प्राथमिकता में रखा है। मध्य प्रदेश में ओबीसी की संख्या 50 प्रतिशत के करीब है। ऐसे में उन्हें ओबीसी होने का फायदा मिला है। मोहन यादव ने 1984 में भाजपा की छात्र इकाई अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के साथ जुड़कर अपनी राजनीतिक पारी की शुरुआत की। इसके अलावा के आरएसएस के भी सदस्य हैं।
मोहन यादव ने 2013 में पहली बार उज्जैन दक्षिण से लड़ा विधानसभा चुनाव, लगातार तीसरी बार जीते
इसके बाद उन्होंने साल 2013 में पहली बार उज्जैन दक्षिण से विधानसभा चुनाव लड़ा और लगातार तीसरे चुनाव में यहां से विधायक निर्वाचित हुए हैं। इस बार उन्होंने कांग्रेस के प्रत्याशी चेतन प्रेमनारायण यादव को हराया। गौरतलब है कि मध्य प्रदेश में हुए विधानसभा चुनावों में भाजपा ने प्रचंड बहुमत हासिल किया था। मध्य प्रदेश में 230 में से भाजपा को 163 सीटों पर जीत हासिल हुई थी और वह यहां पहले नंबर पर रही, जबकि कांग्रेस दूसरे नंबर पर रही। कांग्रेस को 66 सीटों पर जीत हासिल हुई।