The Angle
जयपुर।
हाल ही में सतीश पूनिया ने दिल्ली में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात की थी। ऐसे में माना जा रहा था कि सतीश पूनिया को पार्टी कोई बड़ी जिम्मेदारी दे सकती है। वहीं कुछ समय पहले ही उनके सोशल मीडिया पर साझा किए गए एक वीडियो में उनके सियासी संघर्ष और राजनीतिक यात्रा को दिखाया गया था। सोशल मीडिया पर अचानक बढ़ी इस सक्रियता से सतीश पूनिया को कोई बड़ा पद मिलने के स्पष्ट संकेत मिल रहे थे। अब जब पार्टी ने प्रदेश के 24 राज्यों में अपने प्रभारी बदले हैं, तो उन्हें भी अहम जिम्मेदारी दी गई है। उन्हें हरियाणा का प्रभारी बनाया गया है।
सतीश पूनिया का बढ़ा सियासी कद
अब सतीश पूनिया के नेतृत्व में भाजपा हरियाणा में विधानसभा चुनाव जीतने की रणनीति बनाएगी। वहीं हरियाणा में टिकटों के बंटवारे में भी उनकी भूमिका काफी महत्वपूर्ण होगी। इससे एक तरफ जहां सतीश पूनिया का पार्टी में सियासी कद मिलने के संकेत मिल रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ यह भी स्पष्ट हो गया है कि वे राजस्थान भाजपा के अध्यक्ष की कुर्सी पर वापसी नहीं कर रहे हैं। दरअसल जेपी नड्डा से दिल्ली में हुई सतीश पूनिया की मुलाकात के बाद अटकलें लगने लगी थीं कि हरियाणा में जाट वोटर्स को साधने के लिए पार्टी उन्हें राजस्थान में फिर से पार्टी की कमान सौंप सकती है क्योंकि राजस्थान की सीमा हरियाणा से लगती है। ऐसे में इसका फायदा पार्टी को आगामी हरियाणा विधानसभा चुनाव में मिल सकता है।
बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष के लिए हैं बेहतर विकल्प
हालांकि जानकारों का मानना है कि अभी भी सतीश पूनिया बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष की रेस से पूरी तरह बाहर नहीं हुए हैं। क्योंकि एक संभावना यह भी है कि अगर उनके कुशल नेतृत्व में भाजपा हरियाणा में फिर से मजबूती से सत्ता में वापसी करती है, तो वे राजस्थान में बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष की कुर्सी के लिए एक बेहतर विकल्प बन सकते हैं। वहीं चर्चा है कि बीजेपी शीर्ष नेतृत्व ने किरोड़ी लाल मीणा को भजनलाल कैबिनेट में अन्य कोई विभाग लेने या फिर किसी राज्य का राज्यपाल बनने का विकल्प दिया है। ऐसे में अगर किरोड़ी इसमें से एक भी विकल्प पर तैयार नहीं होते हैं, तो किरोड़ी लाल मीणा को भी बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष बनाया जा सकता है।