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किरोड़ी लाल मीणा को मनाने के लिए भाजपा में बन रही नई रणनीति !

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किरोड़ी मीणा को मनाने के लिए भाजपा में बन रही नई रणनीति !

The Angle

जयपुर।

किरोड़ी लाल मीणा ने इस्तीफा देने के बाद हाल ही में दिल्ली जाकर भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात कर उन्हें अपने इस्तीफे की कॉपी सौंपी थी। वहीं जब किरोड़ी से उनका इस्तीफा स्वीकार किए जाने को लेकर सवाल पूछा गया, तो किरोड़ी ने कहा था कि क्योंकि मैंने जनता के बीच में वचन दिया था, इसलिए उस वचन को निभाने के लिए इस्तीफा देना जरूरी था, इसलिए मुझे इस्तीफा देना पड़ा। अब इस्तीफा स्वीकार करना या नहीं करना ये पार्टी का काम है। वहीं उन्होंने एक बड़ी बात यह भी कही कि जेपी नड्डा ने उन्हें 10 दिन बाद फिर से दिल्ली बुलाया है।

गोलमा देवी की इस्तीफे पर दो टूक

इसे लेकर जानकार मान रहे हैं कि पार्टी की तरफ से शुरुआत में किरोड़ी को जो विकल्प दिए गए थे, उनसे किरोड़ी राजी नहीं हैं, इसीलिए किरोड़ी को मनाने के लिए पार्टी नए सिरे से रणनीति पर काम कर रही है, ताकि किरोड़ी का आत्मसम्मान भी बरकरार रहे और और पार्टी को भी नुकसान न उठाना पड़े। इस बीच किरोड़ी मीणा की पत्नी और पूर्व मंत्री गोलमा देवी का बयान आया है। उन्होंने एक इंटरव्यू के दौरान दो टूक जवाब देते हुए कहा कि किरोड़ी मीणा अपना इस्तीफा वापस नहीं लेंगे। जहां तक काम करवाने की बात है, तो किरोड़ी मंत्री पद पर रहे बिना भी जनता के काम करवाने की क्षमता रखते हैं। लेकिन क्षेत्र की जनता किरोड़ी बाबा को अपने बीच देखना चाहती है, जो मंत्री बनने के बाद सुरक्षा प्रोटोकॉल के चलते संभव नहीं हो पा रहा था।

किरोड़ी लाल मीणा ने अन्य प्रदेश में कोई संगठनात्मक जिम्मेदारी संभालने से किया इनकार

ऐसे में ये तय माना जा रहा है कि किरोड़ी लाल मीणा को पार्टी राजस्थान में ही कोई बड़ी संगठनात्मक जिम्मेदारी दे सकती है। वहीं जानकार यह भी कयास लगा रहे हैं कि किरोड़ी मीणा ने पार्टी शीर्ष नेतृत्व के सामने ये स्पष्ट कर दिया है कि उन्हें वसुंधरा राजे, सतीश पूनिया या राजेंद्र राठौड़ न समझा जाए क्योंकि वे किसी भी कीमत पर राजस्थान छोड़कर किसी अन्य प्रदेश में कोई जिम्मा नहीं संभालेंगे। बता दें वसुंधरा राजे को जहां प्रदेश की सियासत में बीजेपी शीर्ष नेतृत्व लगातार नजरअंदाज कर रहा है, वहीं राजेंद्र राठौड़ के पास विधानसभा चुनाव हारने के बाद अब पार्टी संगठन में भी कोई पद नहीं है। जबकि सतीश पूनिया को हरियाणा का प्रभारी बनाकर पार्टी ने उन्हें प्रदेश की सियासत से दूर करने की तैयारी कर ली है।

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