The Angle
जयपुर।
पुलवामा हमले में शहीद हुए प्रदेश के 3 वीर जवानों की वीरांगनाओं का जयपुर में धरना लगातार जारी है। इस मामले पर पहले जहां विपक्ष सरकार को घेरने की कोशिश कर रहा था और इन वीरांगनाओं ने शहीद स्मारक पर धरना देने के साथ ही पहले राजभवन और उसके बाद सचिन पायलट के आवास पर भी धरना दिया और सरकार तक अपनी मांगों को पूरी करवाने की कोशिश की। वहीं सरकार की तरफ से भी मामले की संवेदनशीलता को समझते हुए समझाइश की कोशिश लगातार हो रही है। इस मामले में अब तक गृह राज्य मंत्री राजेंद्र यादव, सैनिक कल्याण मंत्री राजेंद्र गुढ़ा, मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास और मंत्री शकुंतला रावत वीरांगनाओं को उनकी मांगें पूरी होने का भरोसा दिलाते हुए उन्हें धरना खत्म करने के लिए कह चुकी हैं, लेकिन भाजपा नेता लगातार इस मसले पर राजनीति करने में लगे हुए हैं।
सीएम गहलोत ने कहा- भाजपा के कुछ नेता राजनीतिक रोटियां सेंकने के लिए शहीदों की वीरांगनाओं का इस्तेमाल कर रहे
वहीं दूसरी तरफ सीएम गहलोत ने अब इन वीरांगनाओं के धरने का समर्थन कर रहे नेताओं को आड़े हाथ लिया। मुख्यमंत्री ने सोशल मीडिया के जरिए विपक्षियों को घेरा। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा के कुछ नेता अपनी राजनीतिक रोटियां सेंकने के लिए शहीदों की वीरांगनाओं का इस्तेमाल कर उनका अनादर कर रहे हैं। यह कभी भी राजस्थान की परम्परा नहीं रही है। मैं इसकी निंदा करता हूं। उन्होंने कहा कि हम सभी की जिम्मेदारी है कि हम शहीदों एवं उनके परिवारों का उच्चतम सम्मान करें। राजस्थान का हर नागरिक शहीदों के सम्मान का अपना कर्तव्य निभाता है, परन्तु भाजपा के कुछ नेता अपनी राजनीतिक रोटियां सेंकने के लिए शहीदों की वीरांगनाओं का इस्तेमाल कर उनका अनादर कर रहे हैं।
शहीद हेमराज मीणा की पत्नी चौराहे पर मूर्ति लगवाने की मांग कर रहीं, उनकी 2 मूर्तियां पहले ही लग चुकीं- सीएम गहलोत
सीएम गहलोत ने कहा शहीद हेमराज मीणा की पत्नी उनकी तीसरी प्रतिमा एक चौराहे पर स्थापित करवाना चाहती हैं जबकि पूर्व में शहीद की 2 मूर्तियां राजकीय महाविद्यालय, सांगोद के प्रांगण और उनके पैतृक गांव विनोद कलां स्थित पार्क में स्थापित की जा चुकी हैं। ऐसी मांग अन्य शहीद परिवारों को दृष्टिगत रखते हुए उचित नहीं है। मुख्यमंत्री ने कहा कि शहीद रोहिताश्व लाम्बा की पत्नी अपने देवर के लिए अनुकम्पा नियुक्ति मांग रही हैं। उन्होंने कहा कि यदि आज शहीद लाम्बा के भाई को नौकरी दे दी जाती है, तो आगे सभी वीरांगनाओं के परिजन अथवा रिश्तेदार उनके एवं उनके बच्चे के हक की नौकरी अन्य परिजन को देने का अनुचित सामाजिक एवं पारिवारिक दबाव डालने लग सकते हैं।
मुख्यमंत्री बोले- पूर्व के अनुभवों के आधार पर बनाए गए नियम
आगे मुख्यमंत्री ने कहा कि क्या हमें वीरांगनाओं के सामने एक ऐसी मुश्किल परिस्थिति खड़ी करनी चाहिए क्योंकि वर्तमान में बनाए गए नियम पूर्व के अनुभवों के आधार पर ही बनाए गए हैं। शहीदों के बच्चों का हक मारकर किसी अन्य रिश्तेदार को नौकरी देना कैसे उचित ठहराया जा सकता है ? जब शहीद के बच्चे बालिग होंगे तो उन बच्चों का क्या होगा ? उनका हक मारना उचित है क्या ? उन्होंने कहा कि राजस्थान सरकार ने प्रावधान किया है कि यदि शहादत के वक्त वीरांगना गर्भवती है एवं वह नौकरी नहीं करना चाहे, तो गर्भस्थ शिशु के लिए नौकरी सुरक्षित रखी जाएगी, जिससे उसका भविष्य सुरक्षित हो सके।
किरोड़ी बोले- 2 मंत्रियों के 99 फीसदी मांगों पर सहमति के आश्वासन के बाद अचानक बदल गया सरकार का मन
वहीं सीएम गहलोत के इस ट्वीट पर किरोड़ी लाल मीणा ने प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि वे मरते दम तक शहीद वीरांगनाओं की मांगों को पूरा करवाने के लिए डटे रहेंगे। सरकार के 2 मंत्रियों ने 99 फीसदी सहमति का आश्वासन दिया था। लेकिन अचानक ही सरकार का मन बदल गया। ऐसे में आंदोलन को उठाना संभव नहीं है। बता दें अब इस मामले को और जोरदार तरीके से उठाने के लिए उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़, पूर्व मंत्री अरुण चतुर्वेदी, प्रदेश मुख्य प्रवक्ता रामलाल शर्मा और विधायक अशोक लाहोटी आज राज्यपाल कलराज मिश्र को इस मामले को लेकर ज्ञापन सौंपेंगे।