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कोरोना का कहर : इस बार फिर टूटेगी जयपुर की सालों पुरानी परंपरा

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जयपुर में गणगौर की सवारी (फाइल इमेज)

The Angle

जयपुर।

राजस्थानी संस्कृति का प्रतीक और लोक आस्था का पर्व गणगौर आज धूमधाम से मनाया जा रहा है। हालांकि कोरोना महामारी का असर इस उत्सव पर भी देखने को मिल रहा है। इसके चलते इस पर्व की चमक कुछ फीकी नजर आ रही है। बाजारों में भी इसे लेकर लोगों में उत्साह कम ही है।

सजी-धजी युवतियों और महिलाओं ने गाए गणगौर के गीत

आज महिलाओं, नवविवाहिताओं और कुंवारी युवतियों ने सज-धजकर छोटे-छोटे समूहों में ईसर-गौर की पूजा-अर्चना की। बालिकाओं ने अपने सिर पर मंगल कलश लेकर ईसर-गौर की प्रतिमाओं के साथ मंगल गीत गाए। वैसे तो राजस्थान में गणगौर की सवारी निकालने की परंपरा रही है। जयपुर में भी पूर्वराजघराने की विवाहित महिलाएं ईसर-गौर की पूजा करती हैं। इसके बाद शहर में सवारी निकाली जाती है। लेकिन कोरोना संक्रमण के चलते पिछली बार की तरह इस बार भी केवल सांकेतिक रूप से ही सवारी निकाली जाएगी। ऐसा इसलिए किया जा रहा है, ताकि कोरोना गाइडलाइन्स की पालना करते हुए रियासतकाल से चली आ रही परंपरा का निर्वहन किया जा सके।

गणगौर का विसर्जन घर में ही किए जाने की अपील की दीया कुमारी ने

जयपुर के पूर्व राजघराने की राजकुमारी और बीजेपी सांसद दीया कुमारी ने भी सभी से गणगौर पूजन के दौरान कोरोना गाइडलाइन्स की पालना करने और जलाशय में विसर्जित करने की बजाय घर में ही पानी में विसर्जन किए जाने पर जोर देने का आह्वान किया है। ताकि इस संकट काल में जलाशयों पर भीड़ एकत्रित नहीं हो और लोगों को कोरोना संक्रमण से जहां तक संभव हो, बचाया जा सके।

बता दें मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सहित प्रदेश के कई अन्य नेताओं ने भी इस पर्व पर प्रदेशवासियों को शुभकामनाएं देते हुए उनकी सुख-समृद्धि की कामना की है। गौरतलब है कि राजस्थान में एकबार फिर से कोरोना संक्रमण तेजी से अपने पैर पसार रहा है। इसे लेकर राजस्थान सरकार ने नई गाइडलाइन्स जारी कर दी हैं।

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