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प्रदेश में बढ़ते गैंगवार पर गहलोत सरकार कसेगी शिकंजा, लाया जाएगा राकोका बिल

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प्रदेश में बढ़ते गैंगवार पर गहलोत सरकार कसेगी शिकंजा (फाइल इमेज)

The Angle

जयपुर।

प्रदेश में बढ़ रहे गैंगवार को देखते हुए अब सरकार सख्ती करने के मूड में है। इन बड़े अपराधियों से निपटने के लिए सरकार महाराष्ट्र के मकोका (महाराष्ट्र कंट्रोल ऑफ ऑर्गेनाइज्ड क्राइम) की तर्ज पर कड़ा कानून ला रही है। इसी कानून की तर्ज पर राजस्थान में क्राइम फैलाने वाले बड़े बदमाशों पर राजस्थान कंट्रोल ऑफ ऑर्गेनाइज्ड क्राइम लाया जा रहा है। सीएम अशोक गहलोत की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में राजस्थान कंट्रोल ऑफ ऑर्गेनाइज्ड क्राइम बिल-2023 को मंजूरी दे दी है। यह बिल इसी विधानसभा सत्र में लाया जाएगा, अगले सप्ताह इसे सदन में बहस के बाद पारित करवाया जाएगा।

फिरौती वसूलने, पैसे के लिए धमकाने वालों पर भी होगा सख्त एक्शन

राकोका के केस की सुनवाई के लिए अलग से कोर्ट होगा। डीएसपी स्तर का अफसर ही राकोका में केस दर्ज करेगा। वहीं जिस अपराधी के खिलाफ पिछले 10 साल में एक से ज्यादा चार्जशीट पेश की गई हो और कोर्ट ने उस पर संज्ञान लिया हो ऐसे अपराधियों को राकोका के दायरे में लिया जाएगा। गिरोह बनाकर फिरौती वसूलने, पैसे के लिए धमकाने वालों को भी राकोका के दायरे में लिया जाएगा। गैंग बनाकर किए जाने अपराध पर यह कानून लागू होगा और अपराध करने वाली गैंग के हर मैंबर के खिलाफ नए कानून के प्रावधानों के हिसाब से कार्रवाई की जाएगी। दो या इससे ज्यादा अपराधी मिलकर अपराध करते हैं तो उसे संगठित गिरोह माना जाएगा।

संगठित अपराध करने वालों को शरण देने वालों को भी 5 साल जेल और 5 लाख रुपए जुर्माना

आपराधिक गैंग के किसी भी मेंबर को शरण देने वाले के खिलाफ भी नए बिल में कड़े प्रावधान हैं। संगठित अपराध करने वाले अपराधियों को शरण देने वालों को कम से कम पांच साल की सजा और पांच लाख का जुर्माना लगाने का प्रावधान है, यह सजा उम्र कैद तक भी हो सकती है। एक्ट के तहत आपराधिक गैंग बनाकर अवैध वसूली, फिरौती, तस्करी सहित किसी भी अवैध तरीके से पैसा और प्रॉपर्टी बनाने पर कम से कम तीन साल की सजा होगी। यह सजा उम्र केद तक की हाे सकती है। सरकार इस तरह की प्रॉपर्टी को जब्त करके नीलाम करेगी।

राकोका में मुकदमा दर्ज करने से पहले रेंज डीआईसी से लेनी होगी अनुमति

सरकारी कर्मचारी अगर गैंग बनाकर अपराध करने वालों का सहयोग करता है तो उसके लिए तीन साल की सजा और जुर्माने की सजा का प्रावधान किया है। इसके दायरे में सभी कर्मचारी आएंगे। आपराधिक गैंग की किसी भी तरह से सहायता करने वाले सरकारी कर्मचारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी। राकोका में मुकदमा दर्ज करने से पहले रेंज के डीआईजी से मंजूरी लेनी होगी। डीएसपी स्तर से नीचे का अफसर इसकी जांच नहीं कर सकेगा। चार्जशीट पेश करने से पहले एडीजी स्तर के अफसर से मंजूरी लेनी होगी। वहीं राकोका के मामलों की सुनवाई ओपन कोर्ट में करने की जगह बंद कोर्ट में की जाएगी। गैंगस्टर्स और खतरनाक अपराधियों के खिलाफ गवाही देने वालों की पहचान गुप्त रखी जाएगी। गवाह की पहचान सार्वजनिक करने वाले को एक साल तक की जेल और एक हजार तक का जुर्माना लगाया जाएगा।

राकोका में अलग से केस दर्ज कर फास्ट ट्रैक की तर्ज पर होगा काम

राजस्थान में कई गैंग सक्रिय हैं, जिनसे बड़ी संख्या में अपराधी जुड़े हैं। हरियाणा,यूपी बॉर्डर पर भी गैंग सक्रिय हैं। गैंग बनाकर अपराध करने वालों के खिलाफ अब नया कानून बन रहा है। इस कानून के बन जाने के बाद सभी अपराधियों के खिलाफ राकोका में अलग से केस दर्ज किया जाकर फास्ट ट्रैक की तर्ज पर काम होगा। प्रदेश में कानून व्यवस्था बड़ा चुनावी मुद्दा बन रहा है। गैंग बनाकर अपराध करने की घटनाएं लगातार बढ़ रही है। गैंग बनाकर अपराधी फिरौती वसूली, अवैध माइनिंग, तस्करी सहित कई तरह के अवैध काम करते हैं। लगातार बढ़ते अपराधों और गैंगस्टर्स की भूमिका सामने आने के बाद सरकार की इमेज पर असर पड़ा है।

चुनावी साल में अपनी एक्शन वाले सीएम की छवि बनाना चाहते हैं गहलोत

सीएम अशोक गहलोत चुनावी साल में कानून व्यवस्था को लेकर सख्त एक्शन करने वाले सीएम की छवि बनाना चाहते हैं। जिस तरह यूपी में योगी आदित्यनाथ सरकार रिपीट होने के पीछे कानून व्यवस्था के लिए कड़े कदम उठाने को बड़ा कारण माना जा रहा है, उसी तरह गहलोत का फोकस भी आपराधिक गैंग पर है। गहलोत की रणनीति सख्त एक्शन लेने वाली सरकार की छवि बनाने पर है। पेपर लीक मामले के आरोपियों के घर दफ्तर पर भी बुलडोजर चलवाए थे। अब विधानसभा में संगठित अपराधों पर नियंत्रण का बिल पास करवाकर राकोका के तहत एक्शन लिया जाएगा।

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