The Angle
जयपुर।
लोकसभा चुनाव कई मायनों में इस बार रोचक रहा, कई दिग्गजों को जहां हार झेलनी पड़ी, वहीं कई युवा चेहरे भी पहली बार संसद तक पहुंचने में कामयाब रहे। वहीं राजस्थान में कुछ ऐसे भी नेता रहे जिन्होंने 6 महीने पहले ही विधानसभा चुनाव लड़ा था और जनता ने उन्हें पूरी तरह नकार दिया। इसके बावजूद उन्होंने लोकसभा चुनाव में जमकर मेहनत की और इसी का परिणाम है कि आज वे देश की सबसे बड़ी पंचायत लोकसभा में बैठने का गौरव हासिल कर चुके हैं।
भजनलाल जाटव वैर से हारे थे चुनाव, करौली-धौलपुर से जीते
भजनलाल जाटव ने भरतपुर की वैर विधानसभा सीट से विधानसभा चुनाव लड़ा और पूर्ववर्ती सरकार में मंत्री रहने के बावजूद चुनाव हार गए। लोकसभा चुनाव में पार्टी ने उन्हें फिर से टिकट दिया और इस बार भजनलाल के भाग्य ने उनका साथ दिया और वे करौली-धौलपुर सीट से सांसद का चुनाव जीते।
लोकसभा चुनाव में बंधा उम्मेदाराम बेनीवाल के सिर जीत का सेहरा
उम्मेदाराम बेनीवाल ने बाड़मेर की बायतु विधानसभा सीट से विधानसभा चुनाव लड़ा और उन्हें चुनाव में कांग्रेस के हरीश चौधरी के सामने हार का सामना करना पड़ा। उस समय वे आरएलपी से प्रत्याशी थे। इसके बाद लोकसभा चुनाव से ठीक पहले उन्होंने कांग्रेस का हाथ थामा। पार्टी ने उन्हें बाड़मेर-जैसलमेर से उम्मीदवार बनाया और कड़े त्रिकोणीय संघर्ष के बीच तमाम दावों को पीछे छोड़ते हुए उम्मेदाराम बेनीवाल लोकसभा चुनाव जीते।
संजना जाटव बनीं लोकसभा में पहुंचने वाली सबसे कम उम्र की सांसद
संजना जाटव ने 2023 के विधानसभा चुनाव में कठूमर सीट से चुनाव लड़ा और चुनाव हार गईं। इसके बाद कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव में उन्हें भरतपुर सीट से प्रत्याशी बनाया और इस बार संजना जाटव न सिर्फ 50 हजार से ज्यादा वोटों से चुनाव जीतने में कामयाब रहीं, बल्कि सबसे कम उम्र की सांसद बनने का तमगा भी हासिल कर लिया।
भागीरथ चौधरी भाजपा के लिए साबित हुए भागीरथ, अजमेर में जमकर बही समर्थन की ‘गंगा’
किस्मत के धनी लोगों की बात हो रही है, तो ऐसे चेहरे भाजपा में भी कम नहीं हैं। भागीरथ चौधरी अजमेर से पिछले चुनाव में भी सांसद रह चुके हैं। 2023 में पार्टी ने उन्हें किशनगढ़ से विधानसभा चुनाव में उतारा, लेकिन यहां उन्हें भाजपा के ही बागी और बाद में कांग्रेस में शामिल हुए डॉ. विकास चौधरी के हाथों हार झेलनी पड़ी। इसके बाद माना जा रहा था कि भाजपा भागीरथ चौधरी को लोकसभा टिकट नहीं देगी। लेकिन पार्टी ने फिर से इन पर भरोसा जताया और इस बार ये पार्टी के भरोसे पर खरे उतरे और फिर से संसद पहुंच गए।