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लोकसभा चुनाव की हार से सबक ले विधानसभा उपचुनाव की तैयारी में जुटी भाजपा

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लोकसभा चुनाव की हार से सबक ले विधानसभा उपचुनाव की तैयारी में जुटी भाजपा

The Angle

जयपुर।

प्रदेश की भजनलाल सरकार ने किसानों को बड़ी सौगात दी है। प्रदेश के किसानों को संबल देने के लिए केंद्र सरकार की ओर से चलाई जा रही किसान सम्मान निधि की राशि में राज्य सरकार ने 2 हजार रुपए की बढ़ोतरी कर दी है। ऐसे में अब योजना के पात्र किसानों को सालाना 8 हजार रुपए मिलेंगे। बता दें भजनलाल सरकार ने बजट लेखानुदान पेश करने के दौरान किसान सम्मान निधि की राशि बढ़ाने का ऐलान किया था।

राजस्थान की 5 विधानसभा सीटों पर होने हैं विधानसभा चुनाव

अब इसे लेकर चर्चा शुरू हो गई है कि लोकसभा चुनाव में 11 सीट खोने का पछतावा भाजपा को अभी तक है। इसीलिए लोकसभा चुनाव होते ही 5 सीटों पर होने वाले उपचुनाव की तैयारी में जुट गई है। बता दें दौसा विधायक मुरारी लाल मीणा दौसा लोकसभा सीट से, देवली-उनियारा विधायक हरीश चंद्र मीणा टोंक-सवाईमाधोपुर लोकसभा सीट से, चौरासी विधायक राजकुमार रोत बांसवाड़ा-डूंगरपुर लोकसभा सीट से, खींवसर विधायक हनुमान बेनीवाल नागौर लोकसभा सीट से और झुंझुनूं विधायक बृजेंद्र सिंह ओला झुंझुनूं लोकसभा सीट पर चुनाव जीतकर संसद पहुंच गए हैं।

लोकसभा चुनाव की हार से सबक ले आगे बढ़ी भाजपा

ऐसे में इन पांचों सीटों में से ज्यादा से ज्यादा सीटों पर जीत हासिल कर भाजपा फिर से अपनी खोई हुई साख वापस हासिल करना चाहती है। खास बात यह है कि भाजपा ने ये जो 5 सीटें हारीं, यहां किसान निर्णायक भूमिका में हैं। हालांकि लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा को इन सीटों पर ईआरसीपी मुद्दे को ठीक से नहीं भुनाने, अग्निवीर योजना, किसान आंदोलन, बजटीय घोषणाओं को धरातल पर लागू नहीं करना जैसे मुद्दों का खामियाजा उठाना पड़ा। लेकिन अब भाजपा लोकसभा चुनाव की अपनी गलती को सुधारना चाहती है और इसीलिए अभी से अपनी बजटीय घोषणाओं को धरातल पर लागू करना शुरू कर दिया है। इसी कड़ी में शुरुआत प्रदेश के बड़े किसान वर्ग से जुड़ी किसान सम्मान निधि की राशि बढ़ाने से की गई है, ताकि सरकार खुद को किसान हितैशी सरकार के रूप में स्थापित कर सके।

कांग्रेस के सामने जीत के क्रम को बरकार रखने की चुनौती

वहीं कांग्रेस की बात करें तो कांग्रेस पार्टी अपनी इन सभी सीटों पर अपनी जीत के क्रम को उपचुनाव में भी बरकार रखना चाहेगी। ऐसे में कांग्रेस पार्टी चुनाव में ऐसे उम्मीदवारों को चुनाव में उतारेगी जो जिताऊ हों। वहीं आरएलपी के साथ लोकसभा चुनाव के लिए किए गठबंधन को आगे भी जारी रखने की मजबूरी कांग्रेस पार्टी के सामने है। ऐसे में खींवसर सीट उसे आरएलपी के लिए छोड़नी पड़ सकती है और हनुमान बेनीवाल फिर से अपने भाई नारायण बेनीवाल को विधानसभा चुनाव लड़वा सकते हैं।

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