The Angle
जयपुर।
दिल्ली के जंतर मंतर में भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष और भाजपा सांसद बृजभूषण सिंह पर यौन शोषण के आरोपों के बाद चल रहा पहलवानों का आंदोलन तेज हो गया है। दिल्ली के जंतर मंतर पर जहां देर रात पहलवानों और पुलिसकर्मियों के बीच झड़प हुई है। वहीं अब यह आंदोलन देश की राजधानी दिल्ली से निकलकर राजस्थान की राजधानी जयपुर तक पहुंच गया है। पहलवानों के समर्थन में और बृजभूषण सिंह की गिरफ्तारी की मांग को लेकर पूर्व ओलंपियन, कॉमनवेल्थ पदक विजेता और राज्य क्रीड़ा परिषद की अध्यक्ष कृष्णा पूनिया ने राजस्थान विश्वविद्यालय से गांधी सर्कल तक खिलाड़ियों के साथ मार्च निकाला।
भाजपा सांसद होने की वजह से चैन की नींद सो रहे बृजभूषण सिंह, उन पर पॉक्सो एक्ट में मुकदमा दर्ज- पूनिया
इस दौरान उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपील की कि देश की जो बेटियां अपनी अस्मत बचाने के लिए और बेटियों के साथ हुए शोषण के खिलाफ आवाज उठाते हुए 23 अप्रैल से धरना प्रदर्शन कर रही हैं, उन्हें न्याय मिलना चाहिए। पूनिया ने आरोप लगाया कि जिस व्यक्ति पर पॉक्सो एक्ट लगा है, वह भाजपा सांसद होने के चलते चैन की नींद सो रहा है और वे बच्चियां, जिन्होंने देश को मेडल दिलाया, रात को बारिश में भीग रही है और पुलिस उनके साथ दुर्व्यवहार कर रही है। इस बात पर देश के गृहमंत्री अमित शाह को संज्ञान लेना चाहिए कि खिलाड़ियों के साथ पुलिस ने दुर्व्यवहार कैसे किया गया।
कृष्णा पूनिया बोलीं- देश के लिए मेडल जीतने वाली बेटियां आज सड़क पर रो रहीं
वहीं जंतर-मंतर पर धरने पर बैठे पहलवानों पर राजनीतिक षड्यंत्र में आने का आरोप लग रहा है। इसे लेकर कृष्णा पूनिया ने कहा कि हमारे देश के संस्कार इतने कमजोर नहीं हैं कि इस देश की बेटी और वो भी ओलंपिक जैसे खेलों में पदक जीतने वाली अपनी अस्मत को दांव पर लगाकर किसी राजनीतिक बहकावे में आए। उन्होंने कहा कि ये वो मजबूत बेटियां हैं जिन्होंने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हमारे देश के नाम को रोशन किया और पदक जीते। पूनिया ने कहा कि ओलंपिक जैसे बड़े खेलों में पदक जीतने वाली बच्चियां सड़क पर रो रही हैं। इससे बुरा कुछ हो नहीं सकता और न्याय की इस लड़ाई में अंत तक हम पहलवानों के के साथ खड़े रहेंगे।
खिलाड़ियों की जाति को लेकर हो रही टिप्पणियों को कृष्णा पूनिया ने बताया शर्मनाक
कृष्णा पूनिया ने इस मामले में सोशल मीडिया पर खिलाड़ियों की जाति को लेकर हो रही टिप्पणी को शर्मनाक बताते हुए कहा कि जिस दिन ये बच्चियां मेडल जीतकर लाई थी उस दिन वे हिंदुस्तान की बेटी थीं। लेकिन अब वे जब अपनी अस्मत बचाने के लिए सड़कों पर आईं तो वे जाट हैं, यह कहना अपने आप में शर्म की बात है और हमारे खिलाड़ियों को जाति विशेष में बांटकर खिलाड़ियों का अपमान किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि जिस दिन यह बच्चियां मेडल जीतकर आई थी तो देश ने उन पर गर्व किया था, उस समय वे जाट नहीं थीं। उस समय वे देश की खिलाड़ी थी और हर मां-बाप उन बच्चियों जैसा ही अपने बच्चों को बनाना चाहता था। ऐसे में केवल अन्याय के खिलाफ आवाज मजबूत करने पर ही खिलाड़ियों के जाट समाज के होने की बात कही जा रही है।