द एंगल।
नई दिल्ली।
पीएम नरेंद्र मोदी ने सभी देशवासियों से रविवार 5 अप्रैल की रात 9 बजे 9 मिनट के लिए घर की सभी लाइटें बंद कर दीया, मोमबत्ती, टॉर्च या फ्लैश लाइट जलाकर कोरोना महामारी के खिलाफ एकजुटता दर्शाने की अपील की है। लेकिन पीएम मोदी की इस अपील से बिजली कंपनियों के लिए बड़ी परेशानी खड़ी हो गई है।
बिजली कंपनियों ने चुनौती से निपटने की तैयारियां की शुरु
पीएम की इस अपील के बाद बिजली कंपनियों ने भी इस चुनौती से निपटने की तैयारी शुरू कर दी है। कंपनियों के लिए सबसे बड़ी चुनौती ब्लैकआउट टालने की होगी। क्योंकि अगर 130 करोड़ देशवासी एकसाथ बिजली बंद करते हैं और 9 मिनट बाद फिर एकसाथ जलाते हैं, तो ऐसे में ब्लैकआउट का खतरा काफी ज्यादा होगा।
चुनौती से निपटने के लिए अब 2 दिन से भी कम समय
मनी कंट्रोल की रिपोर्ट में बिजली के काम से जुड़े एक अधिकारी के हवाले से बताया गया है, ‘यह एक चलती हुई कार में अचानक ब्रेक लगाने और फिर तेज एक्सीलरेटर देने जैसा है। इसका अनुमान लगाना मुश्किल है कि कार का व्यवहार क्या होगा।’ बिजली विभाग के पास इस 9 मिनट की चुनौती से निपटने की तैयारी के लिए अब 2 दिन से भी कम वक्त बचा है। हालांकि एक्सपर्ट्स का मानना है कि बिजली विभाग इस चुनौती का सामना करने में सक्षम है।
2012 में हुआ था दुनिया का सबसे बड़ा ब्लैकआउट
बता दें कि हमारे घरों तक 3 तरीकों से इलेक्ट्रिसिटी पहुंचाई जाती है। पहला पॉवर जनरेटर्स जैसे एनटीपीसी, दूसरा हर राज्य में मौजूद वितरण कंपनियां और तीसरा राज्य भार प्रेषण केंद्र या SLDC। SLDC बिजली की मांग के साथ आपूर्ति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता हैं। वहीं 2012 में दुनिया का सबसे बड़ा ब्लैकआउट कुछ ऐसे ही हुआ था, जब अचानक मांग बढ़ने से ट्रिपिंग हुई और लगभग 60 करोड़ भारतीयों के घरों की बिजली चली गई थी।