The Angle
जयपुर।
चुनाव हों या प्रदेश की आम दिनों की सियासत, किरोड़ी लाल मीणा एक ऐसा चेहरा हैं, जो हमेशा सुर्खियों में बने रहते हैं। लोकसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद मीणा ने अपने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट डाली थी रघुकुल रीत सदा चली आई, प्राण जाई पर वचन न जाई। इस पोस्ट को किरोड़ी लाल मीणा के उन बयानों से जोड़ा गया, जिसमें उन्होंने कई बार इस बात को दोहराया था अगर उन्हें पीएम मोदी ने जिन 7 सीटों की जिम्मेदारी दी है, उनमें से एक भी सीट पर भाजपा हारी, तो वे मंत्री पद से इस्तीफा दे देंगे।
किरोड़ी लाल मीणा ने दफ्तर जाना छोड़ा, सरकारी गाड़ी भी वापस नहीं ली
चुनाव के नतीजे भी आ गए, पार्टी की हार-जीत का फैसला भी हो गया और किरोड़ी बाबा की उस पोस्ट को भी अब 10 दिन बीत चुके हैं, सवाई माधोपुर विधायक ने अभी तक इस्तीफा नहीं दिया है। इस बीच चर्चा है कि बाबा बीते 10 दिनों से न तो सचिवालय स्थित अपने दफ्तर गए, न ही अपनी सरकारी गाड़ी ही वापस ली, जबकि लोकसभा चुनाव की आचार संहिता खत्म हो चुकी है। इसे लेकर 2 बातों की चर्चा सबसे ज्यादा है कि अगर भाजपा की हार की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए किरोड़ी लाल मीणा ने इस्तीफा दिया, तो भाजपा के अन्य नेताओं पर भी इस्तीफा देने का दबाव बढ़ेगा।
डोटासरा ने कहा था- भाजपा में कुछ ही दिनों के मेहमान हैं
वहीं दूसरी तरफ अटकलें तेज हो गई हैं कि पीसीसी चीफ गोविंद सिंह डोटासरा की चुनाव के दौरान किरोड़ी लाल मीणा को लेकर की गई एक भविष्यवाणी सच साबित हो सकती है। दरअसल एक बयान में डोटासरा ने कहा था कि किरोड़ी लाल मीणा भाजपा में कुछ ही दिनों के मेहमान हैं, इसके बाद वे हमारे साथ ही दिखाई देंगे। वहीं किरोड़ी ने भी एक बयान में कहा था कि अगर भाजपा उन्हें सौंपी गई 7 सीटों में से एक भी सीट पर चुनाव हारती है, तो वे दौसा में ही जनता को पानी पिलाने का काम करेंगे। ऐसे में अगर वे वाकई में मंत्री पद से इस्तीफा दे देते हैं, तो सत्ता पक्ष के विधायक होने के बावजूद बाबा पहले की तरह ही सड़कों पर जनता के मुद्दों को उठाते, अपनी ही पार्टी की सरकार को घेरते और विपक्षी नेता की भूमिका निभाते नजर आ सकते हैं।