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जेपी नड्डा के जयपुर दौरे से पहले पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को मिली भाजपा में अहम जिम्मेदारी

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वसुंधरा राजे का बढ़ा कद

The Angle

जयपुर/दिल्ली।

इस साल के आखिर में राजस्थान सहित कई अन्य राज्यों के विधानसभा चुनाव होने हैं। इससे पहले भाजपा केंद्रीय संगठन में कई बड़े बदलाव हुए हैं। भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने आगामी चुनावों के लिए अपनी टीम का ऐलान करते हुए केंद्रीय पदाधिकारियों के नामों की सूची जारी कर दी है। इस सूची में विभिन्न राज्यों के 42 नेताओं को जगह दी गई है। खास बात यह है कि राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को इस सूची में राष्ट्रीय उपाध्यक्ष के तौर पर बरकरार रखा गया है।

वसुंधरा राजे को फिर से बनाया गया राष्ट्रीय उपाध्यक्ष

सूची में शामिल अन्य नेताओं की बात करें तो जेपी नड्डा ने 13 नेताओं को राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया है। वसुंधरा राजे के अलावा छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह और झारखंड के पूर्व सीएम रघुबर दास जैसे नेताओं को भी जगह मिली है, जबकि पूर्व में नड्डा टीम में शामिल पार्टी के वरिष्ठ नेता ओम माथुर का नाम इस लिस्ट से हटाया गया है। इसी तरह 8 राष्ट्रीय महामंत्री बनाए गए हैं। बीएल संतोष संगठन के राष्ट्रीय महामंत्री बने रहेंगे। राष्ट्रीय सह संगठन महामंत्री शिवप्रकाश को बनाया गया है। 13 लोगों को राष्ट्रीय सचिव बनाया गया है। इसमें कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री एके एंटनी के बेटे और कुछ समय पहले ही भाजपा का दामन थामने वाले अनिल एंटनी को भी राष्ट्रीय सचिव जैसी अहम जिम्मेदारी सौंपी गई है। जबकि कोषाध्यक्ष के रूप में राजेश अग्रवाल को बरकरार रखा गया है, सह कोषाध्यक्ष नरेश बंसल होंगे।

जेपी नड्डा ने पार्टी पदाधिकारियों को टिकट नहीं देने की कही थी बात

वसुंधरा राजे को केंद्रीय संगठन में अहम जिम्मेदारी देने की बात की जा रही थी। अब संगठन में उन्हें फिर से राष्ट्रीय उपाध्यक्ष की जिम्मेदारी दी गई है। वहीं इस बीच भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के उस बयान के भी कई मायने लगाए जाने लगे हैं, जिसमें उन्होंने कहा था कि पार्टी में पद लेकर बैठे नेताओं को विधानसभा चुनाव में टिकट नहीं मिलेगा। हालांकि ये बयान उन्होंने इसलिए दिया था ताकि संगठन में काम करने वाले नेता टिकट हासिल करने के लिए दौड़-धूप करने की बजाय पार्टी को मजबूत करने के लिए काम करें। लेकिन अगर पार्टी वाकई में ऐसा करती है तो बड़ा सवाल ये है कि क्या पार्टी वसुंधरा राजे को भी राजस्थान विधानसभा चुनाव में टिकट नहीं देने पर विचार कर रही है।

ये चर्चा इसलिए भी है क्योंकि भाजपा की तमाम कोशिशों के बाद भी राजस्थान की जनता में आज भी वो स्थिति है कि यहां भाजपा का मतलब वसुंधरा राजे है। ऐसे में अगर पार्टी वसुंधरा राजे का टिकट काटती है, तो भाजपा को यहां जीत हासिल करने में खासी परेशानी हो सकती है।

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