The Angle
जयपुर।
प्रदेश में राज्य सरकार ने छात्रसंघ चुनावों पर रोक लगा दी है। ऐसे में छात्रनेता अलग-अलग तरीके से अपना विरोध जता रहे हैं। इस बीच नागौर सांसद और राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के संयोजक हनुमान बेनीवाल जयपुर में मीडिया से रूबरू हुए। इस दौरान उन्होंने कहा कि राज्य सरकार के छात्रसंघ चुनाव नहीं करनाने के फैसले की मैं निंदा करता हूं। चुनाव लड़ने की दौड़ में शामिल छात्र नेता अपनी जान हथेली पर रखकर आंदोलन कर रहे हैं, लेकिन प्रदेश की प्रमुख विपक्षी पार्टी भाजपा का भी कोई बड़ा संगठन सामने नहीं आया, ये दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने राज्य सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि राजस्थान में विश्वविद्यालयों की स्वतंत्रता को खत्म करने का काम किया जा रहा है, जबकि प्रदेश के कई बड़े नेता कई स्टेट में छात्रसंघ चुनावों के माध्यम से बड़े नेता बनकर निकले।
छात्रसंघ चुनावों को लेकर जयपुर में बड़ी रैली की दी चेतावनी
बेनीवाल ने आगे कहा कि बीजेपी और कांग्रेस ने मिलकर छात्रसंघ चुनाव नहीं कराने का फैसला किया है। दोनों को डर है कि कहीं चुनाव में निर्दलीय या तीसरा मोर्चा के छात्र न जीत जाए। वहीं उन्होंने पीएम मोदी को सलाह देते हुए कहा कि प्रधानमंत्री जी आप गवर्नर का पद समाप्त कर दीजिए, तो खर्च अपने आप कम हो जाएंगे। लेकिन आरएलपी छात्रों के साथ खड़ी है और पूरा सहयोग करेगी। छात्रनेता प्रदेश के विश्वविद्यालय वाले जिलों में जाकर रैलियां निकालेंगे और सरकार पर छात्रसंघ चुनाव करवाने को लेकर दबाव बनाया जाएगा। उन्होंने कहा कि अगर सरकार ने इस पर भी छात्रसंघ चुनावों को बहाल नहीं किया, तो आने वाले दिनों में जयपुर में 1 लाख छात्रों के साथ बड़ी रैली निकाली जाएगी।
हनुमान बेनीवाल का दावा- इस बार भाजपा की भी हवा निकाल देगी आरएलपी
आरएलपी संयोजक ने प्रदेश के विधानसभा चुनाव में पार्टी के स्टैंड को लेकर भी अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि हम अपनी समान सोच वाली पार्टियों से गठबंधन करने की कोशिश करेंगे, अगर गठबंधन होगा तो ठीक है, वरना हम राजस्थान की सभी सीटों पर चुनाव लड़ेंगे। उन्होंने दावा किया कि इस बार आरएलपी भाजपा की भी हवा निकाल देगी और उन्हें पता चल जाएगा कि इस बार उनकी टक्कर आरएलपी से है। बेनीवाल ने कहा कि अग्निपथ भर्ती योजना को लेकर आरएलपी दिल्ली को भी घेरने की तैयारी कर रही है। इससे पहले पार्टी ने 3 काले कानूनों को लेकर भी किसानों का समर्थन किया था, हालांकि किसान आंदोलन का नेतृत्व पंजाब ने किया था, लेकिन अबकी बार छात्रों के आंदोलन का नेतृत्व राजस्थान करेगा।