The Angle
जयपुर।
पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार में मंत्री रहे राजेंद्र सिंह गुढ़ा एक बार फिर सुर्खियों में हैं। उनके एक बयान के बाद सियासी गलियारों में चर्चा शुरू हो गई है कि बसपा, कांग्रेस के बाद अब राजेंद्र सिंह गुढ़ा का शिवसेना से भी मोह भंग हो गया है। झुंझुनूं में ईदगाह पर मुस्लिम लोगों को ईद की बधाई देने पहुंचे राजेंद्र सिंह गुढ़ा ने कहा कि वे शिव सेना से चुनाव नहीं लड़ेंगे। दरअसल राजेंद्र सिंह गुढ़ा इनदिनों झुंझुनूं विधानसभा के प्रस्तावित उप चुनाव की तैयारियों को लेकर झुंझुनूं विधानसभा क्षेत्र में खासे सक्रिय हैं।
राजेंद्र सिंह गुढ़ा झुंझुनूं विधानसभा उपचुनाव को लेकर हैं सक्रिय
राजेंद्र गुढ़ा ने कहा कि राजस्थान का सबसे बैकवर्ड जिला झुंझुनूं ही है। लोग नहर की बात करते हैं, लेकिन घरों के नलों में पानी तक नहीं पहुंचा पाए। रेलवे फाटकों पर जाम लगा रहता है। पुलिया नहीं बना पाए। खेल यूनिवर्सिटी आई हुई वापस चली गई। जिस झुंझुनूं जिले की पहचान सैनिकों, किसानों, उद्योगपतियों और लोगों के हुनर के लिए होती थी, उस जिले को आखिरी पायदान पर लाकर छोड़ दिया। इसलिए झुंझुनूं के पुराने गौरव को वापिस दिलाने के लिए काम करेंगे।
असदुद्दीन ओवैसी को बताया अपना मित्र
वहीं आगामी विधानसभा उपचुनाव को लेकर गुढ़ा ने कहा कि वे शिवसेना से चुनाव नहीं लड़ेंगे। रही बात असदुद्दीन ओवैसी की तो वे उनके मित्र हैं। हम आपस में मिलते रहते हैं। मैं असदुद्दीन ओवैसी का मान-सम्मान करता हूं। गुढ़ा के इस बयान के बाद कयास शुरू हो गए हैं कि गुढ़ा अब असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM से चुनाव लड़ सकते हैं। बता दें राजेंद्र गुढ़ा ने लोकसभा चुनाव की घोषणा से ठीक पहले शिवसेना जॉइन की थी। तब चर्चा थी कि वे शिवसेना से झुंझुनूं में चुनाव लड़ सकते हैं। हालांकि शिवसेना ने प्रदेश की सभी सीटों पर भाजपा को समर्थन देने की बात करते हुए अपने प्रत्याशी नहीं उतारने की बात कही थी।
झुंझुनूं में 23 प्रतिशत आबादी मुस्लिम
दरअसल एआईएमआईएम से राजेंद्र गुढ़ा के झुंझुनूं में उपचुनाव लड़ने की चर्चा इसलिए भी हो रही है क्योंकि यहां मुस्लिम वोटर्स की अच्छी खासी तादाद है। जानकारी के मुताबिक झुंझुनूं विधानसभा क्षेत्र में करीब 23 प्रतिशत आबादी मुस्लिम है। बहरहाल राजेंद्र सिंह गुढ़ा के इस बयान से एक बार फिर सियासी चर्चाओं में उफान आ गया है।