The Angle
जयपुर।
लोकसभा चुनाव के नतीजे आ चुके हैं और चुनाव में जीत हासिल करने वाले नेताओं को जीत की बधाई भी दी जा चुकी है। अब राजनीतिक पार्टियों ने जिन-जिन सीटों पर हार का सामना किया, उन पर हार के कारणों की समीक्षा की जा रही है। ऐसे में सबसे बड़ा जो सवाल उठ रहा है, वो ये कि राजस्थान में कांग्रेस ने तो 10 साल का सूखा 11 सीटें जीतकर खत्म कर दिया, लेकिन भाजपा ने जो 14 सीटें गंवाई हैं, उस हार के लिए जिम्मेदारों का क्या होगा।
लोकसभा चुनाव में राजस्थान में भाजपा को इन 11 सीटों पर झेलनी पड़ी हार
बता दें भाजपा ने 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में प्रदेश की सभी 25 लोकसभा सीटों पर जीत हासिल की थी। लेकिन इस बार भाजपा को करौली-धौलपुर, टोंक-सवाई माधोपुर, दौसा, बाड़मेर-जैसलमेर, बांसवाड़ा-डूंगरपुर, भरतपुर, चूरू, नागौर, श्रीगंगानगर-हनुमानगढ़, सीकर और झुंझुनूं की कुल 11 सीटों पर हार का सामना करना पड़ा है। वहीं भाजपा ने इस बार के लोकसभा चुनाव में जयपुर ग्रामीण, जयपुर शहर, कोटा-बूंदी, झालावाड़-बारां, जोधपुर, जालौर-सिरोही, राजसमंद, भीलवाड़ा, अजमेर, उदयपुर, अलवर, चित्तौड़गढ़, पाली और बीकानेर पर जीत हासिल की है।
राजस्थान में इन नेताओं पर थी भाजपा को जिताने की जिम्मेदारी
अब भाजपा की हार वाली सीटों की बात करें तो करौली-धौलपुर, टोंक-सवाई माधोपुर और दौसा सीट को जिताने की जिम्मेदारी मंत्री किरोड़ी लाल मीणा के कंधों पर थी। भरतपुर सीट मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के गृह जिले में आती है। बांसवाड़ा-डूंगरपुर सीट को जीतने के लिए पार्टी ने महेंद्रजीत मालवीय को भाजपा में शामिल करवाया था। चूरू सीट की जिम्मेदारी राजेंद्र राठौड़ के कंधों पर थी, नागौर की जिम्मेदारी हरेंद्र मिर्धा पर थी।
किरोड़ी लाल मीणा ने सोशल मीडिया पर लिखा- “… प्राण जाई पर वचन न जाई”
हालांकि चुनाव नतीजों की घोषणा होते ही किरोड़ी लाल मीणा ने अपने सोशल मीडिया पर रामचरितमानस की एक चौपाई पोस्ट की, “रघुकुल रीति सदा चलि आई। प्राण जाई पर बचन न जाई।।” इसके बाद से अटकलें तेज हो गई थीं कि किरोड़ी लाल मीणा दौसा, टोंक-सवाई माधोपुर जैसी सीटों पर भाजपा की हार की जिम्मेदारी लेते हुए मंत्री पद से इस्तीफा दे सकते हैं। हालांकि किरोड़ी लाल मीणा ने किस मंशा से ये चौपाइयां सोशल मीडिया पर पोस्ट कीं, इसका खुलासा होने का अभी तक भी प्रदेशवासियों को इंतजार है।
सीपी जोशी के सिर फूटेगा हार का ठीकरा
वहीं जानकार तो यह भी कह रहे हैं कि जिस तरह राजस्थान विधानसभा चुनाव की जीत का सेहरा बीजेपी के प्रदेशाध्यक्ष होने के नाते सीपी जोशी के सिर बंधा था, उसी तरह लोकसभा चुनाव में राजस्थान में हुई भाजपा की करारी हार का ठीकरा भी सीपी जोशी के सिर ही फूटेगा क्योंकि प्रदेशाध्यक्ष तो वही हैं। हालांकि ये बात और है कि सीपी जोशी खुद लोकसभा चुनाव में एक अच्छी जीत अपने नाम दर्ज करने में कामयाब रहे। ऐसे में अटकलें हैं कि सीपी जोशी से प्रदेशाध्यक्ष पद लेकर उन्हें पार्टी संगठन या केंद्रीय मंत्रिमंडल में और कोई जिम्मेदारी दी जा सकती है।