The Angle
जयपुर।
कांग्रेस पार्टी में राजस्थान विधानसभा की शेष बची सीटों पर टिकट फाइनल करने को लेकर कल काफी लंबे समय तक चर्चा और मंथन का दौर चला। स्क्रीनिंग कमेटी ने शेष 105 सीटों पर टिकटों को लेकर चर्चा की, जबकि बाकी 95 सीटों पर कांग्रेस पार्टी पहले ही प्रत्याशियों का ऐलान कर चुकी है।
राजस्थान विधानसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस में माथापच्ची जारी, सीएम से मिले बिना वापस लौट रहे दावेदार
जानकारों की मानें तो कांग्रेस स्क्रीनिंग कमेटी में अब भी 35 सीटों पर माथापच्ची जारी है, जिन पर टिकट फाइनल करने को लेकर पेंच फंसा हुआ है। इनमें जयपुर जिले की ही चौमूं, झोटवाड़ा, आमेर, हवामहल सीट पर अनिर्णय के हालात बने हुए हैं। इसके अलावा भरतपुर की कामां सीट पर मौजूदा विधायक और मंत्री जाहिदा खान को टिकट देने को लेकर जयपुर से दिल्ली तक विरोध का सिलसिला लगातार बरकरार है।
वहीं पिछले दिनों जब जाहिदा खान के पति कामां क्षेत्र में गए थे, तो उस दौरान उन्हें भी स्थानीय लोगों के भारी विरोध का सामना करना पड़ा था। यहां तक कि कुछ लोगों ने उनके काफिले पर पत्थरबाजी तक की, जिसके चलते बाद में उन्होंने इसे लेकर थाने में मुकदमा भी दर्ज करवाया। वहीं राज्य खादी ग्रामोद्योग बोर्ड के अध्यक्ष बृज किशोर शर्मा भी सीएम गहलोत से मिलने जोधपुर हाउस पहुंचे थे, लेकिन वे भी मुख्यमंत्री से मुलाकात किए बिना ही वापस लौट गए।
कई मौजूदा विधायक चुनाव लड़ने से कर चुके इनकार, इन सीटों पर तलाशने होंगे नए जिताऊ चेहरे
वहीं माना जा रहा है कि आज शाम होने वाली कांग्रेस केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक में धोद, गुड़ामालानी, सांगोद जैसी सीटों पर भी चर्चा की जाएगी। इन सीटों पर पिछले चुनाव में विजयी रहे धोद से परसराम मोरदिया, गुड़ामालानी से हेमाराम चौधरी और सांगोद से भरतसिंह कुंदनपुर इस बार चुनाव लड़ने से साफ इनकार कर चुके हैं। ऐसे में इन सीटों पर किसे टिकट दिया जाए, इसे लेकर मौजूदा विधायकों से भी विचार-विमर्श किया जा सकता है।
सरकार में सहयोगी दल इस बार चाह रहे ज्यादा सीटों पर हिस्सेदारी
इसके अलावा कांग्रेस पार्टी इस बार राजस्थान में कितनी सीटें इंडिया अलायंस के साथियों के लिए छोड़े, इस पर भी अभी विचार होना है। पिछले चुनाव में भरतपुर सीट पर विजय हासिल करने वाली आरएलडी इस बार 5 सीटों पर हिस्सेदारी मांग रही है। इसी तरह पिछली बार सरकार को समर्थन देने वाली सीपीआई (एम) भी कांग्रेस से अपने लिए सीटें मांग रही है। जानकारों का मानना है कि इस बार ये दल इसलिए भी ज्यादा सीटें चाह रहे हैं क्योंकि एक तो कांग्रेस ने सरकार पर आए संकट के समय साथ रहे निर्दलीय विधायकों को भी कई सीटों पर मैदान में उतारा है और इस बार प्रदेश में रुझान कांग्रेस के पक्ष में नजर आ रहे हैं, ऐसे में सहयोगी दल भी राजस्थान विधानसभा में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाना चाहते हैं।