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ईआरसीपी को लेकर कांग्रेस की बड़ी तैयारी, राजस्थान चुनाव में पार्टी बनाएगी बड़ा मुद्दा

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ईआरसीपी को लेकर कांग्रेस की बड़ी तैयारी, राजस्थान चुनाव में पार्टी बनाएगी बड़ा मुद्दा (फाइल इमेज)

The Angle

जयपुर।

राजस्थान के विधानसभा चुनाव में राजनीतिक दल अपनी-अपनी रणनीति के हिसाब से विरोधी दलों को घेरने में लग गए हैं, लेकिन इन सबके बीच ईआरसीपी एक ऐसा मुद्दा है, जिसे भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दल भुनाने में जुटे हुए हैं। ये मुद्दा राजस्थान की जीत में कितना अहम रोल निभाने वाला है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि भाजपा ने अपनी 41 उम्मीदवारों की पहली सूची जो जारी की है, उसमें से करीब 21 सीटें इसी पूर्वी राजस्थान से आती हैं। ऐसे में भाजपा की कोशिश इन क्षेत्रों में अन्य मुद्दों को लेकर कांग्रेस के विरोध में माहौल बनाने की है।

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे 16 अक्टूबर को बारां से कर सकते हैं शुरुआत

वहीं कांग्रेस इस योजना को अपने लिए पूर्वी राजस्थान में काफी अहम मानकर चल रही है। इसीलिए एक तरफ तो पार्टी में उम्मीदवार फाइनल करने को लेकर काम चल रहा है, दूसरी तरफ पार्टी पूर्वी राजस्थान में ईआरसीपी को जन जागरूकता अभियान चलाने जा रही है। जानकारी के मुताबिक इसकी शुरुआत 16 अक्टूबर को बारां से होगी, जहां कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे एक विशाल चुनावी सभा को संबोधित करने आ सकते हैं।

1 दिन में 2 जिले कवर करेगी कांग्रेस

बताया जा रहा है कि इस अभियान में पार्टी एक दिन में 2 जिलों को कवर करने का लक्ष्य लेकर आगे बढ़ेगी, ताकि कम समय में ज्यादा से ज्यादा लोगों तक अपनी बात को पहुंचाया जा सके। जानकारी के मुताबिक खड़गे के अलावा इस दौरान इस अभियान में सूबे के मुखिया अशोक गहलोत, पीसीसी चीफ गोविंद सिंह डोटासरा, पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट सहित पूर्वी राजस्थान से कांग्रेस के मौजूदा विधायक-मंत्री भी मौजूद रहेंगे।

ईआरसीपी से पूर्वी राजस्थान में पेयजल समस्या का समाधान संभव

अभियान का सीधा मकसद पीएम मोदी के 2018 के विधानसभा चुनाव के समय जयपुर और अजमेर में ईआरसपी को राष्ट्रीय परियोजना को लेकर किए गए वादे और पूर्वी राजस्थान की जनता से की गई वादाखिलाफी को भुनाना है। यूं भी पूर्वी राजस्थान में दौसा, करौली, भरतपुर, अलवर, धौलपुर तो ऐसे जिले हैं जहां लंबे समय से खारे पानी की समस्या है, वहीं समय के साथ-साथ जयपुर में भी लोगों को पेयजल किल्लत से जूझना पड़ रहा है। ऐसे में कांग्रेस का पक्ष है कि अगर केंद्र सरकार ईआरसीपी को राष्ट्रीय परियोजना घोषित करती है तो ये योजना कम समय में पूरा हो सकेगी और लोगों को पेयजल किल्लत की समस्या से राहत मिलेगी।

भाजपा का तर्क है कि अगर राज्य सरकार परियोजना पर मध्यप्रदेश की एनओसी ला दे और योजना को 75 फीसदी डिपेंडिबिलिटी पर बनाकर दे दे, तो केंद्र सरकार इसे राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा देने को तैयार है। अब देखना होगा कि चुनाव में जनता किसके पक्ष में अपना भरोसा जताती है।

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