The Angle
पटना।
पटना हाईकोर्ट ने बिहार की नीतीश कुमार सरकार को बड़ा झटका देते हुए राज्य आरक्षण कानून में किए गए हालिया संशोधन की संवैधानिक वैधता को खारिज कर दिया है। वहीं सरकार के कानून को चुनौती देने वाली रिट याचिकाओं को स्वीकृति दे दी है।
पटना हाईकोर्ट की खंडपीठ ने 11 मार्च को याचिका पर सुरक्षित रख लिया था फैसला
मुख्य न्यायाधीश के विनोद चंद्रन और न्यायाधीश हरीश कुमार की खंडपीठ ने 11 मार्च को इस मामले पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। इसके बाद खंडपीठ ने आज अपना फैसला सुनाया। याचिका में राज्य सरकार द्वारा 21नवंबर, 2023 को पारित कानून को चुनौती दी गई थी। इसमें एससी, एसटी, ईबीसी और अन्य पिछड़े वर्गों को 65 फीसदी आरक्षण दिया गया है, जबकि सामान्य श्रेणी के अभ्यर्थियों के लिए मात्र 35 फीसदी ही पदों पर सरकारी सेवा में दिया जा सकता है, जिसमें ईडब्लूएस के लिए 10 फीसदी आरक्षण भी शामिल है।
अधिवक्ता ने सामान्य वर्ग में ईडब्ल्यूएस के लिए आरक्षण करने को बताया था असंवैधानिक
वहीं अधिवक्ता दीनू कुमार ने पिछली सुनवाई में कोर्ट में दलील देते हुए कहा था कि सामान्य वर्ग में ईडब्ल्यूएस के लिए 10 फीसदी आरक्षण रद्द करना भारतीय संविधान की धारा 14 और धारा 15(6)(b) के खिलाफ है। उन्होंने बताया था कि जातिगत सर्वेक्षण के बाद जातियों के अनुपातिक आधार पर आरक्षण का ये निर्णय लिया गया है, न कि सरकारी नौकरियों में पर्याप्त प्रतिनिधित्व के आधार पर ये निर्णय लिया गया है।