Home Politics जनता लाल डायरी का नहीं, इसके पीछे का सच जानना चाहती है

जनता लाल डायरी का नहीं, इसके पीछे का सच जानना चाहती है

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फाइल इमेज

The angle

जयपुर।

राजस्थान में दो दिन के घटनाक्रम से ये पता चलता है कि बीजेपी वक्त वक्त पर बाहर निकालने के लिए मुद्दे बड़े सिलेक्टिव तरीके से सेट और इस्तेमाल करती है। हालांकि जितने बड़े ड्रामे के साथ इस लाल डायरी के जिन्न को बाहर निकालने की कोशिश की गई है, जनता का मूड देखकर उतनी ही शीघ्रता से ये जिन्न दुबक भी गया है। ऐसा इसलिए कि लोग अब मुद्दों की खुद पड़ताल करने लगे हैं। कुछ सोशल मीडिया ट्रायल भी इसमें असरदार साबित हो रहे हैं। इसलिए कल विधानसभा में हुए पूरे घटनाक्रम के बाद जनता की रुचि लाल डायरी में क्या है से ज़्यादा ये जानने में है कि दो साल पुराने मामले को बीजेपी और कांग्रेस से निष्कासित राजेंद्र गुढ़ा आखिर अब तक क्यों दबाए बैठे थे।

इस पूरे मामले पर सोशल मीडिया के द्वारा लोगों ने सवालों की बौछार लगा दी है। लोग ये जानना चाहते हैं कि सेंट्रल एजेंसियों ने इस मामले में कोई एक्शन क्यों नहीं लिया। वो ये भी जानना चाहते हैं कि राजेंद्र गुढ़ा बार-बार अपने बयानों के साथ छेड़छाड़ क्यों कर रहे हैं और ये भी कि लाल डायरी उनके पास थी को मीडिया को दिखाने से क्यों गुरेज़ किया। आखिर दो साल बाद कांग्रेस के खिलाफ ऐसे तेवर अपनाने का माजरा क्या है।

लाल डायरी के चक्कर में राजेंद्र गुढ़ा की किरकिरी सिर्फ विधानसभा में ही नहीं हुई है, उनकी तो कुंडली सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है। लोग पूछ रहे हैं कि जो खुद हिस्ट्रीशीटर है वह भला किस आधार पर विधानसभा में महिला अत्याचारों पर प्रवचन देने को इतना लालायित थे। गुढा को बिन पैंदे का लोटा तक बोला जा रहा है जो पहले अपनी पार्टी छोड़कर कांग्रेस में आए फिर कांग्रेस छोड़कर वापिस गए उसके बाद फिर कांग्रेस में वापसी कर ली। जनता का कहना है कि जो अपनी पार्टी का नहीं हुआ वो भला कांग्रेस या मुख्यमंत्री के दिये गए फेवर पर संतुष्ट कैसे हो सकता है।

सदन के बाहर मीडिया के सामने रोते हुए गुढा ने जो नौटंकी की है वो अवॉर्ड विनिंग है। इस पूरी घटना को बारीकी से देखें तो गुढा और बीजेपी की सांठगांठ साफ नज़र आ जाती है। गुढा जो एक दिन पहले सदन में किसी लाल डायरी के खुलासे करने का एलान करते हैं और बीजेपी जो लाल डायरी की डमियों, पोस्टर – बैनर के साथ सदन का रुख करती है दर्शाता है कि सब पहले से सेट किया गया था। अब सवाल ये उठता है कि गुढा को बीजेपी से ये सारा मेलो ड्रामा करने की कितनी कीमत या क्या लालच मिली है। क्योंकि वो तो 2021 से अब तक कई बार मीडिया के सामने इस लाल डायरी का ज़िक्र कर चुके हैं। अगर इस लाल डायरी में इतना ही दम होता तो क्या राजनीति के इतने माहिर जादूगर अशोक गहलोत गुढा से इस डायरी को हथियाने की कोशिश नहीं करते!

हैरानी की बात तो ये है कि मीडिया से लेकर पायलट की सभा तक हर जगह गुढा ने गहलोत सरकार को इस लाल डायरी की चेतावनियां दी लेकिन फिर भी गहलोत की तरफ से इस डायरी को लेने का कोई प्रयास नहीं लिया गया। हां, सरकार ने गुढा पर एक्शन लेने में देर की है, ये काम उनके बागी रुख को देखते हुए पहले ही हो जाना चाहिए था। इसलिए कि राजेंद्र गुढा लगातार अपनी सीमाएं लांघ रहे थे, पार्टी विरोधी और सरकार विरोधी बयानबाज़ी कर रहे थे। संभवत: इसकी वजह सचिन पायलट से नज़दीकियों के अलावा अपनी पसंद का मंत्री पद नहीं मिलना भी हो सकती है।

रही बीजेपी की बात तो उसके लिए लाल डायरी के महिमामंडन की सबसे बड़ी वजह मणिपुर का मुद्दा दबाना है। बीजेपी का ये पैटर्न रहा है कि देश के ज्वलंत मुद्दों से जनता का ध्यान भटकाने के लिए वह कभी जेएनयू, कभी लाल डायरी तो कभी सीमा हैदर सरीखे गॉसिप वाले मैटर्स को मीडिया की सुर्खियों से भुनाने का काम करती है। आज गुढा को सदन में बोलने का मौका नहीं देने को अलोकतांत्रिक बताकर जो आरोप गजेंद्र सिंह शेखावत, राजेंद्र राठौड़, सतीश पूनिया, स्मृति ईरानी सहित बीजेपी के नेता मंत्री गहलोत सरकार लगा रहे हैं, वो तब कहां थे जब गुढा ने केंद्रीय जांच एजेंसी के काम में बाधा डालने का काम किया था। तब बीजेपी ने इस मामले को क्यों नहीं उठाया ? क्यों धर्मेंद्र राठौड़ के घर रेड डालने वाले इनकम टैक्स अधिकारियों ने गुढा के खिलाफ मुकदमा दर्ज नहीं कराया? केंद्र सरकार ने इस पूरे प्रकरण पर कोई एक्शन क्यों नहीं लिया?

क्या तब बीजेपी के लिए सेंट्रल एजेंसी के इन्वेस्टिगेशन में बाधा डालना गैर कानूनी नहीं था? और आज जब गुढा खुद अपने मुंह से ये बात कबूल रहे हैं कि उन्होंने ऐसा किया तो क्यों बीजेपी की केंद्र सरकार हाथ पर हाथ रखे बैठी है? आखिर राजेंद्र गुढ़ा पर एक्शन नहीं लेने की वजह क्या है? क्या गुढा कानून से ऊपर हैं या कानून बीजेपी के इशारों पर चलता है? आश्चर्य है इस बात पर कि गुढा पर कार्रवाई करने की बजाए बीजेपी उनके फेवर में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रही है। जनता ये सब देख परख रही है, इसलिए बीजेपी की इस चाल को भी नाकाम करते हुए उसने खुद सोशल मीडिया पर इनका ट्रायल शुरू कर दिया है।

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