The Angle
जयपुर।
एक बार फिर से ओम बिड़ला ने पीएम मोदी का भरोसा जीत लिया। तभी तो उन्हें एक फिर से लोकसभा अध्यक्ष बनाया गया है। ऐसे में मुख्यमंत्री के रूप में भजनलाल शर्मा और भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सीपी जोशी के बाद अब कोटा सांसद ओम बिड़ला राजस्थान में नए पावर सेंटर के रूप में उभरे हैं। बिड़ला का लगातार दूसरी बार इस पद पर आना राजस्थान के बदलते राजनीतिक समीकरण की तरफ भी इशारा कर रहा है।
ओम बिड़ला के सियासी उभार के निकाले जा रहे कई सियासी मायने
राजनीतिक विश्लेषक बिड़ला के उभार के सियासी मायने निकाल रहे हैं। सियासी जानकारों का कहना है कि बीजेपी आलाकमान ने ओम बिड़ला पर फिर भरोसा जताया है। ऐसे में मोदी और अमित शाह राजस्थान को ओम बिड़ला के हवाले कर सकते हैं। दूसरी तरफ वसुंधरा को नजरअंदाज करने का दौर चल रहा है। वसुंधरा राजे को पहले सीएम फेस घोषित नहीं किया। इसके बाद उनके बेटे दुष्यंत सिंह को लगातार 5वीं बार लोकसभा चुनाव जीतने के बाद भी मोदी कैबिनेट में जगह नहीं मिली है।
ऐसे में सियासी हलकों में बड़ा सवाल यह भी है कि एक तरफ तो मोदी सरकार अपने पिछले कार्यकाल में मातृ शक्ति वंदन अधिनियम के जरिए लोकसभा और विधानसभाओं में महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण देकर उन्हें राजनीति में आगे बढ़ाने का दम भरती है, वहीं दूसरी तरफ राजस्थान की 2 बार की मुख्यमंत्री रह चुकीं वसुंधरा राजे को हाशिए पर धकेलकर क्या संदेश देना चाहते हैं ?
वसुंधरा राजे ने कहा था- वफा का वह दौर अब नहीं रहा
उधर वसुंधरा राजे ने हाल ही में उदयपुर में आयोजित सम्मेलन में कहा कि अब वह वफा का दौर नहीं रहा है। आज तो लोग उसी अंगुली को पहले काटने का प्रयास करते हैं, जिसको पकड़ कर वह चलना सीखते हैं। इससे एक तरफ मौजूदा सियासी हालातों में उनकी बेबसी झलकती है, वहीं दूसरी तरफ यह भी साफ जाहिर है कि वसुंधरा राजे भाजपा में अपनी लगातार अनदेखी से नाराज हैं। ऐसे में हर कोई यह जानना चाहता है कि आखिर राजस्थान की सियासत में वसुंधरा राजे का क्या भविष्य होगा।